दुर्ग में महिला आयोग की जनसुनवाई में उठे कई गंभीर मामले, सीआरपीएफ जवान पर पत्नी को गर्भावस्था में घर से निकालने का आरोप
राज्य महिला आयोग की 322वीं जनसुनवाई में 30 प्रकरणों की सुनवाई, घरेलू हिंसा, मानसिक प्रताड़ना और पारिवारिक विवादों पर लिए गए सख्त निर्णय
छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक और सदस्य ओजस्वी मंडावी ने दुर्ग में आयोजित जनसुनवाई के दौरान महिला उत्पीड़न से जुड़े 30 मामलों की गहन सुनवाई की। यह राज्य स्तरीय 322वीं और दुर्ग जिले की 12वीं जनसुनवाई रही। सुनवाई में कई चौंकाने वाले मामले सामने आए, जिनमें एक सीआरपीएफ जवान द्वारा पत्नी के साथ गंभीर अमानवीय व्यवहार का मामला प्रमुख रहा।
दुर्ग। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक एवं सदस्य ओजस्वी मंडावी ने शुक्रवार को दुर्ग जिले के बालगृह परिसर, पांच बिल्डिंग, महिला एवं बाल विकास कार्यालय में महिला उत्पीड़न से संबंधित 30 मामलों की सुनवाई की। यह सुनवाई आयोग की राज्य स्तरीय 322वीं एवं जिले की 12वीं जनसुनवाई थी।
सुनवाई में एक अत्यंत गंभीर मामला सीआरपीएफ में पदस्थ आरक्षक से जुड़ा रहा, जिस पर पत्नी को गर्भावस्था के दौरान घर से निकालने, बच्चे के जन्म के बाद भी कोई संपर्क न रखने और संपर्क माध्यमों को ब्लॉक करने जैसे गंभीर आरोप लगे। आयोग ने इसे अत्यंत संवेदनशील मानते हुए अगली सुनवाई 25 जून को दंतेवाड़ा कैंप में तय की है, जिसके पश्चात यह प्रकरण रायपुर कार्यालय स्थानांतरित किया जाएगा।
एक अन्य उल्लेखनीय प्रकरण में एक महिला द्वारा अपने 87 वर्षीय ससुर एवं 80 वर्षीय सास के विरुद्ध झूठे आरोपों के माध्यम से मानसिक प्रताड़ना देने की शिकायत पर आयोग ने गंभीर टिप्पणी करते हुए उचित निर्देश दिए।
जनसुनवाई के दौरान महिला आयोग ने यह स्पष्ट किया कि किसी भी स्तर पर महिला उत्पीड़न बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, साथ ही यह भी कहा कि झूठी शिकायतों को भी समान गंभीरता से जांचा जाएगा। आयोग ने कई मामलों में दोनों पक्षों को आपसी संवाद के लिए समय भी दिया और जरूरतमंद मामलों में कानूनी व सामाजिक सहायता उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया।