पितृ पक्ष में नहीं जा पा रहे घर तो करें ये उपाय, पूर्वजों को मिलेगा मोक्ष

पितृ पक्ष में नहीं जा पा रहे घर तो करें ये उपाय, पूर्वजों को मिलेगा मोक्ष

पितृ पक्ष पितरों के सम्मान का पखवाड़ा है। मान्यता है कि इस पखवाड़े (श्राद्ध पक्ष) में पितर पितृ लोक से धरती पर आकर वास करते हैं और वंशजों के श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान को ग्रहण कर उनके श्रद्धा पूर्वक किए कर्म से प्रसन्न होते हैं। इससे उन्हें मोक्ष भी प्राप्त होता है। लेकिन कई बार परिस्थिति वश पितृ पक्ष में आप घर से दूर हैं, तो पूर्वजों के मोक्ष के लिए क्या करें तो आइये जानते हैं पूर्वजों के सम्मान में किए जाने वाला सबसे आसान काम क्या है....

किसी व्यक्ति को कब करना चाहिए श्राद्ध
ग्रह नक्षत्र ज्योतिष शोध संस्थान प्रयागराज के ज्योतिषाचार्य आशुतोष वार्ष्णेय के अनुसार श्राद्ध का संबंध श्रद्धा से है और पितृ पक्ष में श्रद्धापूर्वक पितरों का स्मरण जरूरी है, श्राद्ध पक्ष में यह सबसे महत्वपूर्ण कार्य है। ज्योतिषाचार्य वार्ष्णेय के अनुसार पूर्वजों का निधन जिस तिथि पर हुआ होता है, उसी तिथि पर श्राद्ध करना चाहिए और ऐसे लोग जिनके पितर का निधन पूर्णिमा के दिन हुआ है, उन्हें श्राद्ध पूर्णिमा के दिन श्राद्ध करना चाहिए और जिन लोगों को अपने पितृ के निधन की तिथि नहीं मालूम वो सर्व पितृ अमावस्या को श्राद्ध कर सकते हैं। श्राद्ध पूर्णिमा के अगले दिन से ही पितृ पक्ष शुरू होता है और पहले दिन प्रतिपदा का श्राद्ध होता है।

तिथि के दिन घर से दूर होने पर सबसे आसान उपाय
ज्योतिषाचार्य वार्ष्णेय के अनुसार कई बार परिस्थिति वश पूर्वजों की तिथि पर आप घर से दूर हैं तो आसान उपाय से पूर्वजों के मोक्ष के लिए उपाय कर सकते हैं। उनके अनुसार जिस तिथि को दिवंगत परिजन का श्राद्ध करना हो, उसे तिथि के दिन अगर व्यक्ति किसी कारण से घर से दूर हो या गंगा आदि के तट पर ना जा पाए तो केवल यह उपाय करें तो उनके पितृ को मोक्ष दिला देगा।

1. दिवंगत परिजन को स्मरण कर दक्षिण दिशा की ओर जल में काला तिल डालकर पितरों के नाम जल अर्पण करें।
2. श्रद्धापूर्वक अपने ज्ञात और अज्ञात पितरों की मुक्ति की कामना करें।
3. शाम के समय पितरों के नाम का दीपक दक्षिण दिशा पर जलाएं और ईश्वर से प्रार्थना करें कि हमारे दिवंगत पितरों की सद्गति और मोक्ष प्राप्त हो, ऐसा करने से पितृ तर जाएंगे और उनको मोक्ष प्राप्त होगा।
4. दिवंगत परिजन की स्मृति में वस्त्र और भोजन आदि का दान करें।
5. ऐसी वस्तु जो दिवंगत परिजन को प्रिय थी, उसका दान पितृ को संतुष्ट करता है और वो आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
पूर्णिमा के श्राद्ध का मुहूर्त
पंचांग के अनुसार श्राद्ध पूर्णिमा 28 सितंबर शाम को 6.49 बजे से शुरू हो रही है और यह तिथि 29 सितंबर को दोपहर 3.26 बजे तक रहेगी। इसलिए श्राद्ध पूर्णिमा उदयातिथि में शुक्रवार 29 सितंबर को होगी। इस दिन श्राद्ध के ये मुहूर्त हैं।

कुतुप मूहूर्तः सुबह 11:47 बजे से 12:35 बजे तक
रौहिण मूहूर्तः दोपहर 12:35 बजे से 01:23 बजे तक
अपराह्न काल: दोपहर 01:23 बजे से 03:46 बजे तक

यहां देखें पूरा श्राद्ध पक्ष कैलेंडर 2023

पूर्णिमा का श्राद्ध: 29 सितम्बर
प्रतिपदा का श्राद्ध: 30 सितम्बर को दोपहर 12 बजकर 26 मिनट तक करें, फिर दूज का श्राद्ध करें।
दूज का श्राद्ध: 1 अक्टूबर को 9 बजकर 47 मिनट तक करें, फिर तीज का श्राद्ध करें।
तीज का श्राद्ध: 1 अक्टूबर को प्रात: 9 बजकर 48 मिनट बाद करें।
चौथ का श्राद्ध: 2 अक्टूबर
पंचमी का श्राद्ध: 3 अक्टूबर
छठ का श्राद्ध: 4 अक्टूबर
सप्तमी का श्राद्ध: 5 अक्टूबर
अष्टमी का श्राद्ध: 6 अक्टूबर
नवमी का श्राद्ध: 7 अक्टूबर
दशमी का श्राद्ध: 8 अक्टूबर को प्रात: 10 बजकर 15 मिनट बाद करें।
दशमी का श्राद्ध: 9 अक्टूबर को दोपहर 12:41 मिनट तक कर सकते हैं।
एकादशी का श्राद्ध: 10 अक्टूबर
बारस का श्राद्ध: 11 अक्टूबर
तेरस का श्राद्ध: 12 अक्टूबर
चौदस का श्राद्ध: 13 अक्टूबर
अमावस्या का श्राद्ध: 14 अक्टूबर