बदलते बस्तर की कहानी: विकास, विश्वास और संस्कृति की नई उड़ान
बस्तर पंडुम से लेकर धरती आबा ग्राम उत्कर्ष योजना तक, विकास की राह पर तेजी से बढ़ रहा है आदिवासी अंचल, नक्सलवाद को पीछे छोड़ रहा है बस्तर
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने बस्तर को लेकर बड़ा संदेश दिया है। उन्होंने कहा कि बस्तर अब बदल चुका है और यह बदलाव स्थायी होगा। नक्सलवाद से मुक्त होकर बस्तर विकास की मुख्यधारा में तेजी से कदम रख रहा है, और इसके पीछे जनता का विश्वास, सांस्कृतिक चेतना और सरकार की नीतियां प्रमुख कारण हैं।
रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने बस्तर की बदलती तस्वीर पर विश्वास जताते हुए कहा कि यह केवल एक शुरुआत है, अब बस्तर कभी पीछे नहीं हटेगा। उन्होंने कहा कि बस्तर पंडुम और बस्तर ओलंपिक जैसे आयोजन लोगों की सोच में आए बदलाव के प्रतीक हैं, जो यह दर्शाते हैं कि आदिवासी समाज अब नक्सलवाद नहीं, विकास चाहता है।
मुख्यमंत्री साय ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने वर्ष 2026 तक देश को नक्सलमुक्त बनाने का लक्ष्य रखा है, और छत्तीसगढ़ में सुरक्षाबलों की लगातार कार्रवाई से इस दिशा में महत्वपूर्ण सफलता मिल रही है।
बस्तर – प्रकृति, संस्कृति और संभावनाओं का संगम
मुख्यमंत्री ने बस्तर को प्राकृतिक सौंदर्य और सांस्कृतिक धरोहर का गहना बताया। जलप्रपातों, घने जंगलों और लोकसंस्कृति से समृद्ध यह क्षेत्र अब पर्यटन के नए केंद्र के रूप में उभर रहा है। बस्तर पंडुम में 47 हजार कलाकारों और बस्तर ओलंपिक में 1.65 लाख युवाओं की भागीदारी इस सकारात्मक बदलाव का प्रमाण है।
‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की झलक
बस्तर पंडुम में छत्तीसगढ़ के साथ-साथ ओड़िशा, तेलंगाना, महाराष्ट्र, कर्नाटक और अन्य राज्यों के कलाकारों ने भाग लिया। यह आयोजन आदिवासी परंपराओं, खानपान, वेशभूषा और कला का अद्भुत संगम रहा। मुख्यमंत्री ने इसे ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के सपने की सजीव प्रस्तुति कहा।
डबल इंजन सरकार का असर – गांव-गांव में विकास
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि डबल इंजन की सरकार की योजनाएं – प्रधानमंत्री आवास, महतारी वंदन योजना और किसानों के लिए घोषणाएं – लोगों की जिंदगी में बदलाव ला रही हैं। पीएम जनमन योजना के तहत अबूझमाड़ जैसे दुर्गम क्षेत्रों तक सुविधाएं पहुँच रही हैं।
धरती आबा ग्राम उत्कर्ष योजना – 80,000 करोड़ की नई दिशा
राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई इस ऐतिहासिक योजना से 6,500 आदिवासी गांवों का सर्वांगीण विकास सुनिश्चित किया जा रहा है। इसके तहत बुनियादी सुविधाएं, आर्थिक समृद्धि और सामाजिक न्याय को प्राथमिकता दी जा रही है।
नियद नेल्लानार योजना – अब गांवों में गूंजती है स्कूल की घंटी
राज्य सरकार ने सुरक्षा और सेवा दोनों को एकसाथ बढ़ावा देने के लिए 100 से अधिक गांवों में सुरक्षा कैंप खोलकर स्वास्थ्य, शिक्षा, और आधारभूत सुविधाएं सुनिश्चित की हैं।
बस्तर का भविष्य – शांति, शिक्षा और समृद्धि की ओर
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि बस्तर के गांवों में अब बंदूक की नहीं, प्रगति की आवाज सुनाई देती है। नक्सलवाद की जगह अब स्कूल, अस्पताल और मोबाइल कनेक्टिविटी ने ले ली है।
सांस्कृतिक पहचान को अंतरराष्ट्रीय पहचान
उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह नीतियां सिर्फ कागज़ पर नहीं बनाते, बल्कि बस्तर में आकर लोगों की समस्याएं सुनते हैं। कृषि मंत्री रामविचार नेताम ने इसे इतिहास रचने वाला दिन बताया। उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने जानकारी दी कि बस्तर पंडुम की भव्यता को गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में स्थान मिला है – यह राज्य के लिए गर्व की बात है।
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