रायपुर की सड़क पर लगा दी आग:लपटों के बीच स्टंट, कीलों पर लेटे युवक पर मारा हथौड़ा, दिखा सिख मार्शल आर्ट गतका

सड़क पर लगा लगा दी। लपटों के बीच वो हैरतअंगेज स्टंट कर रहे थे। एक युवक को कीलों पर लेटाया गया फिर उसपर हथौड़ों से वार किया गया। ये सब कुछ रायपुर की सड़कों पर हुआ। देखने वाले हैरान होकर ये सब अपने मोबाइल फोन के कैमरे में कैद करने लगे।
दरअसल मौका था नगर कीर्तन का। गुरु गोविंद सिंह जी की जयंती को ध्यान में रखकर ये नगर कीर्तन रायपुर में निकाला गया। इस दौरान तरणतारण पंजाब से आए बीर खालसा गतका ग्रुप ने अपनी युद्ध कला को दिखाकर सभी को अचरज मंे डाल दिया।ग्रुप के युवकों ने तलवार और ढाल का युद्ध दिखाया। एक सेकंड में चार से पांच बार सामने खड़े युवक पर वार किया टाइमिंग ऐसी की हर वार युवक ने ढाल से रोका। जोर इतना कि तलवार से दुश्मन के टुकड़े कर दें। इसके बाद एक आग के गोले को सड़क पर आग लगाकर घुमाया, खुद पर हथौड़ों के वार भी सहे। ये नगर कीर्तन श्याम नगर गुरुद्वारा से होते हुए तेलीबांधा तालाब कैनाल लिंकिंग रोड पहुंचा। यहां से पंडरी गुरुद्वारे पहुंचकर संपन्न हुआ। पंजाब क्षेत्र के सिखों के साथ जुड़ी एक इंडियन मार्शल आर्ट फॉर्म है। गतका शब्द के जन्मदाता सिखों के छठे गुरु श्री हर गोविंद साहिब जी को ही माना जाता है, जिन्होंने सिखों को युद्ध कलाएं सिखाने और सैन्य परीक्षण के लिये प्रेरित किया। तभी से गतका सिख योद्धाओं की पारंपरिक जंग की शैली के रूप में विकसित हुआ, जिस कारण गुरु हर गोविंद जी को मीरी पीरी के बादशाह कहा जाता है।
यह शैली आगे बढ़ते हुए सन 1675 – 1707 के दौरान जब कुछ सियासत के स्वार्थी बादशाहों का गरीब जनता पर जबर जुल्म चरम पर था, तब उनसे मुकाबला करने के लिए सिखों के दसवें गुरु श्री गोविंद सिंह ने सिख फौज को तैयार कर गतका कला को अनिवार्य कर अपने अनुयाइयों को योद्धा बनाया और आह्वान किया “सवा लाख से एक लड़ाऊं, चिड़ियन ते मैं बाज तुड़ाऊं, तबै गोबिंद सिंह नाम कहाऊं”।