सफेद बाघ के नन्हे शावकों का दीदार:सेल ने जारी किया दोनों शावकों का वीडियो, सितंबर 2023 में हुआ था जन्म

भिलाई. सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र के मैत्री बाग में बाघ के 2 नन्हे शावकों का दीदार लोगों ने किया। इन शावकों का जन्म 8 सितंबर 2023 को हुआ था, लेकिन 5 जनवरी 2024 को इनकी झलक देखने का मौका लोगों को मिलेगा। इससे पहले उनका वीडियो सेल ने जारी किया है। दुर्लभ और लुप्तप्राय प्रजाति की राजसी सफेद बाघिन और उसके नन्हे शावक अपनी आकर्षक धारियों, सफेद रंग और चमकदार नीली आंखों के साथ बहुत ही प्यारे लग रहे हैं। शावकों की मां रोमा अभी 9 साल की है। मां रोमा पिछले 4 महीनों से बच्चों को अच्छी तरह से पाल रही है। साल 2023 में 28 अप्रैल को भी 3 शावकों जन्म मैत्री बाग में हो चुका है।
वन्यजीव विशेषज्ञ, भिलाई मैत्री बाग प्रभारी एवं उप महाप्रबंधक (उद्यानिकी) डॉ एनके जैन ने जानकारी दी कि जू अथॉरिटी के मार्गदर्शन के अनुसार ही इन नन्हे शावकों और इनकी मां की देखभाल की गई। मैत्री बाग प्रबंधन लगातार बाघिन मां रोमा को पौष्टिक आहार और विभिन्न प्रकार के आवश्यक विटामिन और कैल्शियम भोजन के साथ दे रहा है। बता दें कि भिलाई का मैत्री बाग सफेद बाघों की सबसे अधिक संख्या के साथ भारत के शीर्ष चिड़ियाघरों में से एक बन गया है। मैत्री बाग प्रबंधन ने सेंट्रल जू अथॉरिटी के नियमानुसार, अब तक देश के 5 से भी अधिक चिड़ियाघरों में सफेद बाघों का आदान-प्रदान किया है।
मां और शावकों पर 24 घंटे प्रशिक्षित टीम रख रही नजर
भिलाई मैत्री बाग प्रभारी एवं उप महाप्रबंधक (उद्यानिकी) डॉ एनके जैन के मार्गदर्शन में मैत्री भाग के जू-कीपर्स मुहर्रम, मोहन, नरसैया द्वारा शावकों के जन्म से लेकर वर्तमान तक पूरी देखभाल की जा रही है। मैत्री बाग की एक प्रशिक्षित टीम चौबीसों घंटे मां और शावकों पर नजर रखे हुए है और उनकी देखभाल में लगी हुई है।
मैत्री बाग में सफेद बाघों की संख्या 10
इस बीच यह सुनिश्चित किया गया है कि उनके आसपास कोई अशांति या अव्यवस्था ना हो। इस बात को ध्यान में रहते हुए शावकों को जन्म के बाद 4 माह तक सार्वजनिक नहीं किया गया। बता दें कि एक और सफेद बाघिन रक्षा ने 28 अप्रैल 2023 को 3 शावकों को जन्म दिया था। सितंबर में जन्मे दो शावकों के साथ ही मैत्री बाग में सफेद बाघों की कुल संख्या 10 हो गई है।
सन 1997 में तरुण और तापसी की जोड़ी को नंदन कानन चिड़ियाघर ओडिशा से मैत्री बाग जू लाया गया था, तब से यहां सफेद शेर का कुनबा अधिक हुआ और मैत्री बाग जू द्वारा देश के 5 चिड़ियाघरों जवाहर लाल नेहरू जूलॉजिकल पार्क बोकारो, लखनऊ जूलॉजिकल गार्डन, राजकोट जूलॉजिकल पार्क राजकोट, इंदिरा गांधी प्राणी संग्रहालय इंदौर, जूलॉजिकल एंड रेस्क्यू सेंटर मुकुंदपुर सतना मध्यप्रदेश में 12 से अधिक सफेद बाघों को दिया गया।
शावकों की देखभाल के समय बाघिन मां रहती है बहुत अधिक सतर्क
पशु चिकित्सा मानदंडों के अनुसार, स्तनपान और अन्य स्वास्थ्य मापदंडों की निगरानी के लिए शावकों को मां के साथ एक अंधेरे कमरे में रखा गया है। युवा शावकों की देखभाल करते समय बाघिन मां अत्यधिक सतर्क और गुप्त रहना पसंद करती है, इसलिए गुफा जैसा माहौल बनाने, घूमने और पर्याप्त जगह बनाने के लिए बाघिन और नन्हे शावकों को नियंत्रित प्रकाश व्यवस्था के साथ एक अलग बाड़े में रखा गया है।
बाघिने जन्म के बाद पहले कुछ दिनों तक अपने शावकों की देखभाल में लगभग अपना 70 प्रतिशत समय बिताती हैं। बाघिन मां नियमित रूप से शावकों को केवल थोड़े समय के लिए खाने-पीने के लिए छोड़ती हैं, जिससे शावक लगभग 4 माह बाद पूरी तरह से मांस खाना सीख जाएं।
शावकों के पर्याप्त पोषण और स्वस्थ विकास और बेहतर दूध देने को सुनिश्चित करने के लिए मां को भरपूर पानी, विशेष विटामिन और कैल्शियम युक्त स्वस्थ पुष्टिवर्धक भोजन दिया जा रहा है। लगभग साढ़े 3 महीने की गर्भावस्था अवधि के दौरान बाघिन को उसके महत्वपूर्ण स्वास्थ्य मापदंडों की निगरानी के लिए पशु चिकित्सा विशेषज्ञों द्वारा नियमित रूप से प्रशासित किया जा रहा था। बाघ के बच्चे तापमान के प्रति बेहद संवेदनशील होते हैं। सर्दी के मौसम को देखते हुए मां और शावकों को बढ़ती ठंड से बचाने के लिए विशेष व्यवस्था की गई थी। दिसंबर और जनवरी के महीने में मां और शावकों को गर्म तापमान देने के लिए बाड़े के अंदर अलाव जलाया जा रहा है।