अनोखी रामलीला...हवा में उड़ते हुए आते हैं हनुमान, सीता हरण प्रसंग का मंचन नहीं होता....

अनोखी रामलीला...हवा में उड़ते हुए आते हैं हनुमान, सीता हरण प्रसंग का मंचन नहीं होता....

दुर्ग और राजनांदगांव की सीमा से लगे निषाद राज के वंशजों के गांव धीरी में तालाब के बीच में रावण का दहन किया जा रहा। यह परंपरा पिछले करीब 43 सालों से चल रही है। गांव के लोगों का कहना है कि इससे पहले से यह परंपरा चली आ रही है, लेकिन 43 साल से लगातार इस परंपरा का निर्वहन किया जा रहा है।

मान्यता है कि बुरे गुणों की छाया गांव पर न पड़े, इसलिए इस प्रकार का आयोजन किया गया। गांव में सालों से राम​लीला का भी आयोजन किया जा रहा है। करीब ढाई घंटे की रामलीला के बाद रावण का दहन किया जाता है। हनुमान के पात्र की एंट्री देखने के लिए आसपास के गांव से भी लोग पहुंचते हैं। तालाब में ड्रम की मदद से एक पाटा तैयार किया जाता है।

इसमें रावण के पुतले को रखकर जलाया जाता है। इसमें भी खास बात यह है कि जब रात में पूरा गांव सो जाता है, तब एक ही रात में रावण के पुतले को तैयार किया जाता है। रामलीला में रामायण के सभी प्रमुख पात्र होते हैं, लेकिन माता सीता नहीं होती। इस बार 25 फीट का रावण तैयार किया गया है। वहीं रामलीला का प्रशिक्षण भी दिया गया है। पिछले करीब महीनेभर से गांव के बच्चों और युवाओं को परंपराओं से अवगत कराया जा रहा है।

अंडा से 7 किलोमीटर दूर ग्राम सिरसिदा में भी दशहरा पर तालाब के बीच तैरते हुए रावण का दहन किया जाता हैं। तालाब के बीच आतिशबाजी भी होती है। यहां 26 सालों से 40 फीट के रावण के पुतले का दहन किया जा रहा है। सरपंच प्रेम लाल ठाकुर, अध्यक्ष राजेश साहू ने बताया कि साल 1994 में इस परंपरा की शुरुआत की गई। रावण दहन से पहले तालाब किनारे रामलीला का मंचन होता है। इस बार दशहरा पर रात 10 बजे रात्रि में हरेली सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया है।

रामलीला में रावण का वध होता है प्रमुख आकर्षण थनौद से आगे बिरेझर भाठा से लगा यह गांव शिवनाथ नदी तट पर स्थित है। निषाद राज के वंशजों के इस गांव की रामलीला पूरे क्षेत्र में प्रसिद्ध है। इस साल भी यहां विजय दशमी पर्व मनाया जाएगा। युवा और बुजुर्ग रामायण के पात्र बनकर रामलीला में शामिल होंगे। रामलीला में राम, लक्ष्मण, हनुमान, रावण, मेघनाथ सब होते हैं, लेकिन माता सीता नहीं होती। हनुमान बना व्यक्ति बरसों पुरानी रस्सी के सहारे मंच में पहुंचता है।