एसआईआर पर अरुण वोरा का हमला: बीएलओ दबाव में, जनता भी हो रही त्रस्त

बीएलओ पर गैर-ज़रूरी दबाव, नागरिक दस्तावेज़ीय उलझनों में फँसे; जानकारी और पारदर्शिता के अभाव में मताधिकार खतरे में

एसआईआर पर अरुण वोरा का हमला: बीएलओ दबाव में, जनता भी हो रही त्रस्त

छत्तीसगढ़ में चल रही एसआईआर (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन) प्रक्रिया को लेकर पूर्व विधायक और वरिष्ठ कांग्रेस नेता अरुण वोरा ने तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि इस बार मतदाता सूची पुनरीक्षण का तरीका न केवल अव्यवहारिक है, बल्कि इससे बीएलओ और आम जनता दोनों गंभीर दबाव झेल रहे हैं। वोरा ने आरोप लगाया कि जल्दबाजी, भ्रम और दस्तावेज़ीय कठोरता के कारण लाखों लोगों का मताधिकार प्रभावित होने का खतरा पैदा हो गया है।

दुर्ग। छत्तीसगढ़ में चल रही एसआईआर प्रक्रिया को लेकर कांग्रेस नेता और पूर्व विधायक अरुण वोरा ने बड़ा बयान जारी करते हुए कहा कि यह पूरी व्यवस्था बीएलओ पर बेमिसाल दबाव डाल रही है और जनता को अनावश्यक उलझनों में धकेल रही है। उन्होंने कहा कि दिन-रात मेहनत करने वाले बीएलओ अव्यावहारिक समय-सीमा और लगातार बढ़ते टार्गेट्स के बीच काम कर रहे हैं, जबकि कई राज्यों में इस दबाव के कारण मौतों जैसी दुखद घटनाएँ भी सामने आ चुकी हैं। ऐसे माहौल में कांग्रेस नागरिकों की सुविधा और सुरक्षा को सुनिश्चित करने की दिशा में पूरी प्रतिबद्धता के साथ पहल कर रही है।

वोरा ने बताया कि कांग्रेस के बीएलए-02 सदस्य और पार्टी कार्यकर्ता घर-घर पहुंचकर यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि कोई भी नागरिक दस्तावेज़ीय कमी या प्रशासनिक अव्यवस्था के कारण मताधिकार से वंचित न हो। उन्होंने कहा कि मतदाता पुनरीक्षण प्रक्रिया में बीएलओ और जनता दोनों ही रीढ़ की भूमिका निभाते हैं, इसलिए उनकी सुरक्षा और सम्मान सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।

उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि एसआईआर की मौजूदा व्यवस्था लोगों के जीवन को आसान बनाने के बजाय और अधिक उलझनभरी साबित हो रही है। पहली बार मतदाता सूची में नाम जोड़ने के लिए इतनी सख्त दस्तावेज़ीय प्रक्रियाएँ लागू की गई हैं, जिससे आम नागरिक भ्रमित और परेशानी में हैं।

वोरा ने बताया कि 4 नवंबर से 4 दिसंबर तक बीएलओ को घर-घर जाकर SIR फॉर्म वितरित करना है और उसके बाद प्राप्त फॉर्मों का डिजिटाइजेशन करना है। 2003 के बाद पहली बार इस पैमाने पर एसआईआर किया जा रहा है। उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर किस दबाव में इतनी जल्दबाजी में व्यापक मतदाता पुनरीक्षण पूरा करने की कोशिश की जा रही है?

उन्होंने यह भी कहा कि जनता को एसआईआर से संबंधित स्पष्ट जानकारी तक उपलब्ध नहीं कराई गई है। अधिकांश लोगों को यह अंदाजा भी नहीं है कि कौन-सा फॉर्म भरना है, किन दस्तावेज़ों की आवश्यकता है, और वे किस श्रेणी में आते हैं। सीमित संख्या में मौजूद बीएलओ को 2 करोड़ से अधिक मतदाताओं तक पहुंचने की जिम्मेदारी सौंप दी गई है, जिससे यह प्रक्रिया और अधिक जटिल हो गई है। ऐसे में त्रुटिरहित और निष्पक्ष मतदाता सूची बन पाना मुश्किल है।

वोरा ने बताया कि पुनरीक्षित मतदाता सूची का सीधा प्रभाव 2028 के विधानसभा चुनावों पर पड़ेगा, इसलिए सूची का सटीक और निष्पक्ष होना अत्यंत आवश्यक है। जल्दबाजी में की जा रही इस प्रक्रिया से लाखों लोग मतदाता सूची से बाहर हो सकते हैं, जो लोकतांत्रिक अधिकारों पर आघात होगा।

उन्होंने कहा कि कई ऐसे मतदाता हैं जिनके नाम दो-ढाई दशकों से सूची में दर्ज हैं, फिर भी उन्हें नए प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने के लिए मजबूर किया जा रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि मतदाता सूची का गहन पुनरीक्षण आवश्यक है, परंतु प्रक्रिया सरल, सुलभ और सम्मानजनक होनी चाहिए।