"नगर निगम के बाहर ज़मीन पर नेता प्रतिपक्ष का 'जन कार्यालय'"

कांग्रेस के वरिष्ठ पार्षद संजय कोहले को अब तक नहीं मिला कार्यालय, जनता की समस्याएं सुनने जमीन पर ही बैठ रहे विपक्षी नेता

दुर्ग नगर निगम में कांग्रेस के वरिष्ठ पार्षद और नेता प्रतिपक्ष संजय कोहले को अब तक निगम प्रशासन की ओर से कार्यालय नहीं दिया गया है। नतीजतन, वे नगर निगम के पोर्च में दरी बिछाकर जनता की समस्याएं सुन रहे हैं। यह नज़ारा अब विपक्ष का विरोध नहीं, बल्कि नगर निगम की कार्यशैली पर बड़ा सवाल बनकर खड़ा हो गया है।

दुर्ग। दुर्ग नगर निगम में इस समय एक अनोखा विरोध देखने को मिल रहा है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और नगर निगम में छह बार से निर्वाचित पार्षद संजय कोहले, जिन्हें हाल ही में पार्टी ने नेता प्रतिपक्ष नियुक्त किया है, नगर निगम की ओर से अब तक कार्यालय का आवंटन न मिलने के कारण पोर्च में ज़मीन पर दरी बिछाकर अपना 'जन कार्यालय' चला रहे हैं।

संजय कोहले वार्ड क्रमांक 13 से लगातार जीतते आ रहे हैं। उनकी वरिष्ठता और लगातार जनप्रतिनिधित्व को देखते हुए कांग्रेस पार्टी ने उन्हें विपक्ष का नेता बनाया, लेकिन निगम प्रशासन ने उन्हें अब तक कोई निर्धारित कमरा नहीं दिया। मजबूरी में उन्होंने आयुक्त कार्यालय के सामने खुले स्थान को ही अपना ठिकाना बना लिया है।

यहाँ वे रोजाना आम नागरिकों की समस्याएं सुनते हैं और निगम प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हैं। उनका कहना है कि जब शहरी सरकार जनता की आवाज़ नहीं सुनती, तो लोग विपक्ष के पास आते हैं। लेकिन जब विपक्ष को भी उचित स्थान न दिया जाए, तो यह लोकतंत्र की मूल भावना पर चोट है।

कांग्रेस के अन्य पार्षद भी उनका साथ देते हुए ज़मीन पर बैठकर ही विरोध दर्ज करा रहे हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि यह विरोध केवल स्थान की मांग नहीं, बल्कि एक व्यवस्थागत लापरवाही के खिलाफ आवाज़ है।

इस पूरे मामले में जब महापौर और निगम प्रशासन से प्रतिक्रिया मांगी गई, तो उन्होंने इस पर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या यह चुप्पी प्रशासनिक उदासीनता को उजागर करती है?