भिलाई में पुरी धाम की झलक: महाप्रभु जगन्नाथ की रथयात्रा के लिए रथ सजकर तैयार
नेत्र उत्सव के बाद ध्वजा के साथ होगा रथ आरंभ, 56 वर्षों से चल रही परंपरा में भक्तों की उमड़ी आस्था
भिलाई के सेक्टर-4 स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर में पुरी की तर्ज पर रथयात्रा की तैयारी अंतिम चरण में है। 15 दिन की लंबी "बीमार छुट्टी" के बाद आज महाप्रभु जगन्नाथ अपने नवयौवन रूप में भक्तों को दर्शन देंगे और कल बड़ी धूमधाम से अपनी मौसी के घर, गुंडिचा मंदिर की ओर प्रस्थान करेंगे। रथ पूरी तरह सजकर तैयार है और आज नेत्र उत्सव के साथ रथयात्रा की शुरुआत होगी।
भिलाई। भिलाई के सेक्टर-4 स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर में 56 वर्षों से लगातार पुरी धाम की परंपरा को जीवंत रखा जा रहा है। 15 दिनों की अनिवार्य विश्राम अवधि (अनासरा) के बाद आज महाप्रभु जगन्नाथ, अपने नवयौवन रूप में भक्तों के सामने प्रकट होंगे। रथयात्रा की पूर्व संध्या पर महाप्रभु जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलभद्र के रथ विशेष रूप से सजाए जा चुके हैं।
आज रात नेत्र उत्सव सम्पन्न होने के बाद रथ पर ध्वजा चढ़ाई जाएगी और रथयात्रा के लिए रथ को विधिवत रूप से तैयार किया जाएगा। मंदिर समिति के महासचिव सत्यवान नायक ने बताया कि भगवान जगन्नाथ को मानव रूप में देखा जाता है और वे भी आम इंसान की तरह व्यवहार करते हैं।
रथयात्रा न केवल धार्मिक उत्सव है, बल्कि यह जीवन यात्रा और रिश्तों की झलक भी है। जिस तरह पति-पत्नी के बीच तकरार और मनुहार होती है, उसी तरह महाप्रभु और माता लक्ष्मी के बीच भी स्नेह-तकरार का चित्रण इस परंपरा में समाहित है।
उन्होंने बताया कि श्रीमंदिर के भीतर जहां प्रभु को छूना भी संभव नहीं, वहीं रथयात्रा के दिन प्रभु स्वयं अपने भक्तों के बीच आते हैं और भक्तों के स्पर्श को स्वीकार करते हैं। यही वह क्षण होता है, जब भगवान और भक्त के बीच की दूरी मिट जाती है। इस बार की रथयात्रा में भी हजारों श्रद्धालुओं के उमड़ने की संभावना है और सुरक्षा एवं व्यवस्था के लिए मंदिर समिति ने सभी आवश्यक तैयारियाँ पूरी कर ली हैं।