श्रम दिवस पर बोरे बासी के संग संस्कृति का सम्मान, कांग्रेस ने मनाया मेहनतकशों का पर्व
भूपेश बघेल समेत कांग्रेस नेताओं ने पारंपरिक छत्तीसगढ़ी व्यंजनों के साथ मजदूरों को दी शुभकामनाएं, बोले– श्रम की गरिमा ही विकास की नींव
छत्तीसगढ़ में श्रमिक दिवस को सांस्कृतिक स्वरूप देते हुए कांग्रेस नेताओं ने ‘बोरे बासी दिवस’ मनाया। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और वरिष्ठ नेताओं ने मेहनतकशों के साथ बैठकर पारंपरिक भोजन किया और श्रमिकों के योगदान को सलाम किया।
दुर्ग। छत्तीसगढ़ में 1 मई को श्रम दिवस को विशिष्ट पहचान देते हुए 'बोरे बासी दिवस' पारंपरिक सम्मान के साथ मनाया गया। इस अवसर पर भिलाई के सेक्टर 5 डोम शेड में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, महापौर नीरज पाल, जिला कांग्रेस अध्यक्ष मुकेश चंद्राकर समेत कई कांग्रेस कार्यकर्ता और श्रमिक एकत्र हुए और साथ बैठकर बोरे बासी का स्वाद लिया।
भूपेश बघेल ने इस अवसर पर कहा, "छत्तीसगढ़ मेहनतकशों की भूमि है। हमारे किसान और मजदूर भाई-बहनों ने अपने परिश्रम से प्रदेश को मजबूत बनाया है। 'बटकी में बासी अउ चटनी में नून' सिर्फ एक कहावत नहीं, यह हमारी जीवनशैली और सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है।"
वरिष्ठ कांग्रेस नेता अरुण वोरा ने बताया कि बोरे बासी दिवस की परंपरा कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में शुरू हुई थी ताकि श्रमिकों को केवल भाषणों से नहीं, बल्कि व्यवहारिक सम्मान और सांस्कृतिक जुड़ाव के साथ प्रेरित किया जा सके।
कार्यक्रम में पारंपरिक छत्तीसगढ़ी व्यंजन जैसे भाजी, चटनी, टिकोरा और बोरे बासी परोसे गए। नेताओं ने युवाओं से आह्वान किया कि वे इस सांस्कृतिक धरोहर को पहचानें, अपनाएं और मजदूरों के योगदान को सम्मान दें।
कांग्रेस नेताओं ने यह भी दोहराया कि पार्टी सदैव मजदूर वर्ग के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध रही है और उनके अधिकारों के लिए नीतिगत स्तर पर काम करती रहेगी।
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