भाद्रपद अमावस्या में ऐसे करें पूजा, मिलेगा पितरों का आशीर्वाद, भूलकर भी ना करें ये गलती
अयोध्या के प्रसिद्ध ज्योतिषी पंडित कल्कि राम के मुताबिक सनातन धर्म में अमावस्या तिथि बहुत महत्वपूर्ण स्थान लगती है इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का महत्व है इस दिन जातक कालसर्प दोष और पितृ दोष से मुक्ति के लिए कई तरह के उपाय भी करते हैं.
सर्वेश श्रीवास्तव, अयोध्या: सनातन धर्म में अमावस्या तिथि का बड़ा अधिक महत्व माना जाता है. वैसे तो साल में प्रत्येक महीने अमावस्या तिथि पड़ता है. लेकिन हर अमावस्या तिथि का अपना अलग महत्व होता है. हिंदू पंचांग के मुताबिक भाद्रपद माह की अमावस्या तिथि 14 सितंबर को है. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक इस बार 14 और 15 सितंबर अमावस्या तिथि के दिन स्नान दान करने का विधान है. धार्मिक मान्यता के मुताबिक भाद्रपद माह की अमावस्या तिथि अन्य अमावस्या तिथि से अलग माना जाता है, क्योंकि भाद्रपद अमावस्या में पितृ दोष और कालसर्प दोष मुक्ति दिलाने के लिए सहायक माना जाता है.
अमावस्या तिथि के दिन पवित्र नदियों में स्नान किया जाता है. गरीब असहाय लोगों को दान दिया जाता है. कहा जाता है अमावस्या तिथि के दिन स्नान और दान करने से व्यक्ति के सारे पाप धुल जाते हैं. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक अमावस्या तिथि के दिन कुछ अचूक उपाय करने से कई तरह के लाभ भी मिलते हैं.
अयोध्या के प्रसिद्ध ज्योतिषी पंडित कल्कि राम के मुताबिक सनातन धर्म में अमावस्या तिथि बहुत महत्वपूर्ण स्थान लगती है. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का महत्व है. इस दिन जातक कालसर्प दोष और पितृ दोष से मुक्ति के लिए कई तरह के उपाय भी करते हैं. लेकिन अमावस्या तिथि के दिन कुछ नियम भी बताए गए हैं. इस दिन क्या करना चाहिए क्या नहीं करना चाहिए चलिए जानते हैं.
अमावस्या तिथि में करें यह कार्य
भाद्रपद अमावस्या तिथि के दिन पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए.अपने पितरों को प्रसन्न करने के लिए उनका श्राद्ध करना चाहिए.इस दिन गरीब असहाय लोगों की मदद करना चाहिए. उनको दान देना चाहिए.ज्योतिष के मुताबिक अमावस्या तिथि कालसर्प दोष और पितृ दोष शिव मुक्ति के लिए कई तरह के उपाय भी करने चाहिए.अमावस्या तिथि के दिन पूजा कुछ के आसन पर बैठकर ही करना चाहिए. जिससे देवी देवता शीघ्र पूजा स्वीकार कर लेते हैं.
इसके अलावा अमावस्या तिथि के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करने से देवताओंका भी आशीर्वाद मिलता है. उनकी कृपा बनी रहती है.अमावस्या तिथि के दिन सुबह पीपल के पेड़ को जल चढ़ाना चाहिए और शाम को पीपल के पेड़ के पास सरसों का दीपक जलाना चाहिए.
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