Janmashtami: इस मंदिर में जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण के पालने में बांसुरी रखने से भर जाती है सूनी गोद! पढ़ें कहानी

देहरादून के मन्नू गंज में एक ऐसा ही श्री कृष्ण मंदिर है, जहां कृष्ण भक्त उनकी अर्चना करने आते हैं. ऐसी मान्‍यता है कि जन्माष्टमी के दौरान श्री कृष्ण के पालने में चांदी की बांसुरी रखने से एक साल के भीतर ही दंपत्ति की सूनी गोद भर जाती है.

Janmashtami: इस मंदिर में जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण के पालने में बांसुरी रखने से भर जाती है सूनी गोद! पढ़ें कहानी

जन्माष्टमी पर कृष्ण लला का श्रृंगार करके उनकी पूजा की जाती है. रात के बारह बजे तक श्रीकृष्ण के मंदिरों में भजन कीर्तन होते हैं. देहरादून के मन्नू गंज में एक ऐसा ही श्री कृष्ण मंदिर है, जहां कृष्ण भक्त उनकी अर्चना करने आते हैं. यह मंदिर बहुत पुराना है और इस मंदिर से कई मान्यताएं भी जुड़ी है. मान्यता है कि इस मंदिर में जन्माष्टमी की रात्रि को जब पूजा अर्चना की जाती है और बाल गोपाल के पालने में चांदी की बांसुरी रखकर यह कहा जाता है कि हे बाल गोपाल आप अपने जैसा लाल हमारे आंगन में भी भेज दें और हमारी सूनी गोद भर दें… तो सालभर के अंदर ही दंपत्ति को संतान का सुख प्राप्त हो जाता है.

मंदिर की संरक्षक धीरज शर्मा ने बताया कि उनके ससुर ने यह मंदिर बनवाया था, तभी से उनका परिवार इस मंदिर की सेवा में लगा है. उन्होंने बताया कि इस मंदिर से कई मान्यताएं जुड़ी हैं. इस श्री कृष्ण मंदिर में दूर -दूर से लोग आते हैं. धीरज शर्मा ने बताया कि वह कई सालों से इस मंदिर के चमत्कार देख रही हैं. इस मंदिर से मान्यता जुड़ी है कि जो दंपत्ति संतान के सुख से वंचित होते हैं उनकी झोली श्रीकृष्ण भर देते हैं. उन्होंने बताया कि श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन मंदिर में बहुत रौनक रहती है. इस दिन रात्रि 12तक भजन कीर्तन किए जाते हैं.

धीरज शर्मा ने यह भी बताया कि इस दौरान जब कोई व्यक्ति अपने घर-आंगन में संतान की कमी महसूस करता है तो यहां श्री कृष्ण के पालने में चांदी की बांसुरी रखकर भगवान से प्रार्थना करता है तो सूनी गोद भर जाती है. साथ ही उन्‍होंने दावा किया कि इतने सालों में कई लोगों को वह इस तरह से देख चुकी हैं कि जिनकी सूनी गोद श्री कृष्ण ने भर दी हो.

वहीं पिछले 50 सालों से मंदिर में आ रही चंद्रकांता बताती है कि उनकी जब से इस क्षेत्र में शादी हुई है वह यहां तब से ही आ रही हैं. उनकी इस मंदिर से बहुत आस्था जुड़ी हुई हैं. उन्होंने बताया कि वह जब-जब परेशान हुई है तब तब बाल गोपाल ने उन्हें संभाला है. उन्होंने बताया कि उनके साथ कोई हादसा हो गया था जिसमें उनके हाथ पैर की हड्डियां टूट गई थीं, लेकिन फिर भी भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें हिम्मत दी. वह चल फिर पाती हैं और थोड़ा बहुत जितना भी काम कर पाती हैं सब श्रीकृष्ण की ही कृपा है.

मंदिर के पुजारी ने कही ये बात
मंदिर के पुजारी मनीष शर्मा ने जानकारी दी कि इस मंदिर में श्रीकृष्ण की अर्चना के लिए संतान के सुख से वंचित दोनों पति-पत्नी तुलसी की माला पर 108 बार ‘देवकीसुतं गोविन्दम् वासुदेव जगत्पते, देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गत:’ का जाप करें. साथ ही सच्चे मन से ठाकुरजी को अपने घर बुलाएं, तो निश्चित रूप से उनके घर श्याम पुत्र के रूप में पधारते हैं.