खास समाचार : स्वरोजगार की दुकानों में अवैध निर्माण और व्यावसायिक इस्तेमाल का पर्दाफाश
श्याम प्लाजा के सामने कई दुकानें किराये पर चल रही, दीवारें तोड़कर किया जा रहा विस्तार, रायपुर नगर निगम बेखबर

रायपुर नगर निगम क्षेत्र में मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत शिक्षित बेरोजगारों को स्वरोजगार का अवसर प्रदान करने हेतु जो दुकानें आवंटित की गई थीं, वे अब नियमों की अनदेखी की भेंट चढ़ती जा रही हैं। पंडरी स्थित श्याम प्लाजा के सामने कई दुकानों में किराये पर व्यवसाय किया जा रहा है, साथ ही दीवार तोड़कर अवैध निर्माण कर दुकान का विस्तार किया गया है। इसके बावजूद नगर निगम के अधिकारी इन गड़बड़ियों से आंखें मूंदे हुए हैं।
रायपुर। मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के अंतर्गत रायपुर नगर निगम क्षेत्र में बेरोजगार शिक्षित युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से संचालित दुकानों में गंभीर अनियमितताएँ सामने आ रही हैं। पंडरी स्थित श्याम प्लाजा के सामने की कई दुकानों में नियमों की अवहेलना कर अवैध रूप से कब्जा, किरायेदारी, दीवारों में तोड़फोड़ तथा व्यवसायिक उपयोग किए जाने की शिकायतें मिल रही हैं। इसके बावजूद नगर निगम के अधिकारी व कर्मचारी स्थिति से अनजान बने हुए हैं, जिससे पूरे शासनादेश की गरिमा पर प्रश्नचिन्ह लग गया है।
नियम विरुद्ध तरीके से हो रहा व्यावसायिक उपयोग
शासकीय दस्तावेजों के अनुसार, मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना की शर्तों के अंतर्गत मिली दुकानें केवल पात्र एवं शिक्षित बेरोजगारों को ही स्व-व्यवसाय हेतु आवंटित की जाती हैं। अनुबंध की शर्त क्रमांक-09 में स्पष्ट उल्लेख है कि उक्त दुकान को किराये पर देना या किसी अन्य को वेतन पर कार्य हेतु देना पूर्णतः निषिद्ध है। बावजूद इसके पंडरी क्षेत्र की दुकानों में बिरयानी सेंटर जैसे व्यवसायिक प्रतिष्ठान खुल गए हैं।
सूत्रों के अनुसार, कुछ लाभार्थियों द्वारा दुकान की दीवारें तोड़कर उनका क्षेत्रफल बढ़ा लिया गया है, जो नियमों का सीधा उल्लंघन है। इतना ही नहीं, कुछ दुकानों में अवैध निर्माण करते हुए सार्वजनिक नाले के ऊपर अतिक्रमण कर लिया गया है, जिससे जल निकासी में बाधा उत्पन्न हो रही है। नालियों के अवरुद्ध होने से आसपास की सड़कों पर गंदा पानी बह रहा है, जिससे न सिर्फ यातायात में बाधा उत्पन्न हो रही है, बल्कि स्वास्थ्य संकट भी मंडरा रहा है।
दुकानों की खरीद-फरोख्त की आशंका, पात्र बेरोजगारों से छीना जा रहा हक
जानकारी मिली है कि कुछ दुकानों की अवैध रूप से खरीद-बिक्री भी की जा रही है, जो योजना की मूल भावना के सर्वथा विपरीत है। यह स्थिति उन सैकड़ों योग्य बेरोजगार युवाओं के लिए चिंता का विषय है, जो नियमों के अंतर्गत आवेदन कर वर्षों से दुकान मिलने की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
नगर निगम की चुप्पी पर उठे सवाल
स्थानीय नागरिकों एवं शिकायतकर्ताओं का कहना है कि नगर निगम के अधिकारियों-कर्मचारियों को इस पूरी स्थिति की जानकारी होते हुए भी वे मौन हैं। न ही कोई निरीक्षण किया जा रहा है, और न ही अनुबंध शर्तों का पालन सुनिश्चित किया जा रहा है।
शासन से नियम के तहत कार्रवाई की मांग
शिकायतकर्ता द्वारा शासन से आग्रह किया गया है कि मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के नियमों और अनुबंध की शर्तों का उल्लंघन कर संचालित सभी दुकानों की तत्काल जांच की जाए, दोषियों के विरुद्ध वैधानिक कार्यवाही करते हुए उन दुकानों को निरस्त किया जाए और पात्र, शिक्षित बेरोजगारों को उनका वाजिब हक दिया जाए।