"ना भोजन, ना पानी... सिर्फ गंगाजल चाहिए था : स्पर्श हॉस्पिटल ने की मुमकिन एक असंभव सर्जरी"
"95 की उम्र, कैंसर की जंग और एक आखिरी ख्वाहिश : डॉक्टरों ने गंगाजल पीने की इच्छा की पूरी"

कभी-कभी इलाज सिर्फ जीवन बचाने के लिए नहीं, बल्कि किसी की आखिरी ख्वाहिश पूरी करने के लिए भी किया जाता है। भिलाई में 95 वर्षीय बुजुर्ग को गंगाजल ग्रहण करने की अंतिम इच्छा थी, लेकिन आहार नली में कैंसर के चलते पानी भी नहीं पी पा रहे थे। स्पर्श हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने जोखिम उठाया, स्टंट डाला और उनकी इच्छा को साकार किया।
क्योंकि एक मरीज का ‘इमोशन’ भी इलाज का हिस्सा होता है...
भिलाई( सन टाइम्स)। नाम सुखनंदन लाल (बदला हुआ नाम)। उम्र 95 साल। तकलीफ – आहार नली में कैंसर। मुंह का थूंक भी निगलना मुश्किल। डॉक्टरों ने साफ-साफ कह दिया कि अब कोई उपचार मुमकिन नहीं, घर जाएं और परिवार संग समय बिताएं। मगर सुखनंदन के दिल में एक अधूरी ख्वाहिश थी – वे प्राण त्यागने से पहले गंगाजल पीना चाहते थे।
यह सुनते ही भिलाई के स्पर्श हॉस्पिटल में डॉ. अर्पण जैन और उनकी टीम ने ठान लिया – “हम प्रयास करेंगे”। इसके बाद जो हुआ, वो केवल एक ऑपरेशन नहीं था, बल्कि इंसानियत और संवेदना की मिसाल बन गया। डॉक्टरों ने रिसर्च किया, रणनीति बनाई और आहार नली में 14 सेंटीमीटर का स्टंट डालकर गंगाजल का मार्ग प्रशस्त किया।
इस सर्जरी की सबसे बड़ी चुनौती थी – 95 साल के मरीज को एनेस्थिसिया देना। ज़रा सी चूक जानलेवा हो सकती थी। मगर क्रिटिकल केयर विशेषज्ञ डॉ. संजय गोयल के अनुभव ने इसे संभव बनाया। ऑपरेशन सफल रहा। सुखनंदन ने गंगाजल ग्रहण किया और अब खाना-पानी भी ले पा रहे हैं। इस केस ने साबित किया कि डॉक्टर सिर्फ इलाज नहीं करते, वे भावनाओं का सम्मान करना भी जानते हैं।
युवाओं में भी बढ़ रहा खतरा
डॉ. अर्पण जैन बताते हैं कि युवाओं में जंक फूड, सिगरेट और शराब की आदतों के चलते आहार नली और आंतों से जुड़ी बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं। गले में जलन, निगलने में तकलीफ या बार-बार उल्टी की शिकायत को नजरअंदाज करना खतरनाक हो सकता है। समय रहते एंडोस्कोपी करवा लेने से बीमारी की पहचान शुरू में हो सकती है।
एंडोस्कोपी को लेकर भ्रम तोड़ें
एंडोस्कोपी एक 5 मिनट की प्रक्रिया है, जिसमें गले को सुन्न कर एक छोटा कैमरा पेट तक भेजा जाता है। इससे बिना चीरे के बीमारी की पूरी जानकारी मिल जाती है। डॉक्टरों के अनुसार, लोग अक्सर गैस की शिकायत को हल्के में लेते हैं और बिना परामर्श दवाइयां लेते हैं, जिससे गंभीर बीमारियां जन्म लेती हैं।