गुड फ्राइडे 2025: बलिदान, आस्था और प्रार्थना का पावन पर्व
18 अप्रैल को गुड फ्राइडे—क्रिश्चियन समुदाय के लिए आस्था, श्रद्धा और बलिदान का प्रतीक; चर्चों में होंगी विशेष प्रार्थनाएं, ईस्टर तक चलेगा उपासना का सिलसिला
गुड फ्राइडे ईसाई धर्म का एक अत्यंत श्रद्धापूर्ण और भावनात्मक पर्व है, जिसे प्रभु यीशु मसीह के बलिदान की याद में मनाया जाता है। यह दिन न केवल उनके क्रूस पर चढ़ने की पीड़ा को याद करने का अवसर है, बल्कि मानवता के लिए उनके द्वारा किए गए सर्वोच्च बलिदान का सम्मान करने का दिन भी है। वर्ष 2025 में यह दिवस 18 अप्रैल को मनाया जाएगा, जब देश-विदेश के चर्चों में विशेष सभाएं और प्रार्थनाएं आयोजित होंगी।
भिलाई। भारत विविधताओं से भरा देश है, जहाँ हर धर्म, संस्कृति और परंपरा को समान अधिकार और सम्मान प्राप्त है। यहाँ हर समुदाय अपने पर्वों को अपनी मान्यताओं और रीति-रिवाज़ों के अनुसार मनाता है। ईसाई समुदाय के लिए गुड फ्राइडे और उसके बाद मनाया जाने वाला ईस्टर विशेष महत्व रखते हैं।
गुड फ्राइडे पर प्रभु यीशु मसीह के बलिदान को याद करते हुए चर्चों में शांति और प्रार्थना का वातावरण होता है। वहीं ईस्टर का पर्व पुनरुत्थान की खुशी का प्रतीक होता है, जिसे विशेष धूमधाम के साथ मनाया जाता है।
भारत में ब्रिटिश शासनकाल से ही यह पर्व मनाने की परंपरा रही है। हालांकि उस समय ईसाई समुदाय की जनसंख्या कुल आबादी का लगभग दो प्रतिशत ही थी, फिर भी गुड फ्राइडे और ईस्टर का जश्न बड़े आदर और उत्साह के साथ मनाया जाता रहा है।
मुंबई, गोवा, कोलकाता, केरल और अन्य राज्यों के ईसाई बहुल क्षेत्रों में इस दौरान चर्चों को भव्य रूप से सजाया जाता है। लोग विशेष रूप से चर्च जाकर प्रभु यीशु के जीवन और उनके उपदेशों को याद करते हैं, भक्ति गीत गाते हैं, और विशेष प्रार्थनाओं में भाग लेते हैं।
ईस्टर के दिन सामूहिक भोज, पारंपरिक पकवान, गिफ्ट्स, फूल, कार्ड, चॉकलेट और केक के आदान-प्रदान की परंपरा होती है। बच्चे और युवा वर्ग विशेष रूप से इस दिन का इंतज़ार करते हैं।
भारत ही नहीं, ऑस्ट्रेलिया, ब्राज़ील, इटली, इंग्लैंड, जर्मनी और अमेरिका जैसे देशों में भी इस पावन पर्व को श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है।