नगर निगम की सुरक्षा पर उठे सवाल: फिल्टर प्लांट पहुँचे वोरा, सुधार के 5 अहम सुझाव दिए
फिल्टर प्लांट में 3 दिन तक रहा शव, इसी पानी की सप्लाई पचास हजार लोगों तक पहुँचती रही; निरीक्षण के बाद वोरा ने सुरक्षा घेरा, CCTV और स्टाफिंग सुधार पर जोर दिया।
दुर्ग। शहर के फिल्टर प्लांट की 11 MLD क्षमता वाली पानी की टंकी में तीन दिन पुराना सड़ा-गला शव मिलने के बाद गुरुवार को पूरे क्षेत्र में हड़कंप मच गया। इसी टंकी से शहर के लगभग 30 हजार लोगों को पानी सप्लाई होता रहा। घटना के बाद नगर निगम की सुरक्षा व्यवस्था पर गम्भीर सवाल उठे हैं और पानी वितरण तत्काल रोक दिया गया है।
घटना की गंभीरता को देखते हुए पूर्व विधायक अरुण वोरा शुक्रवार को पूर्व महापौर आर.एन. वर्मा के साथ फिल्टर प्लांट पहुँचे और पूरे परिसर का निरीक्षण किया। उन्होंने कहा कि यह शहर की सुरक्षा और स्वास्थ्य से जुड़ा बेहद संवेदनशील मामला है, जिसे हल्के में नहीं लिया जा सकता।
वोरा ने कहा—
“हमारा उद्देश्य दोषारोपण नहीं, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि ऐसी घटना दोबारा न हो। यह क्षेत्र अत्यंत संवेदनशील है और यहाँ सुरक्षा उच्च स्तर की होनी चाहिए।”
वोरा के 5 बड़े सुझाव | सुरक्षा सुधार के लिए प्रस्तावित कदम
1. मजबूत सुरक्षा घेरा
प्लांट परिसर चारों तरफ बाउंड्री वॉल और तार-फेंसिंग से सुरक्षित किया जाए।
प्रवेश-निकास पर गेट पास सिस्टम और गार्ड रजिस्टर अनिवार्य हो।
2. आधुनिक CCTV निगरानी
पूरे क्षेत्र में हाई-रिज़ोल्यूशन कैमरे लगाए जाएँ।
24×7 निगरानी के लिए कंट्रोल रूम बनाया जाए और रिकॉर्डिंग संरक्षित रखी जाए।
3. सुरक्षा कर्मियों की प्रभावी तैनाती
तीनों शिफ्टों में प्रशिक्षित चौकीदारों की उपस्थिति सुनिश्चित की जाए।
रात की गश्त बढ़ाई जाए और असामाजिक तत्वों की आवाजाही पर रोक लगे।
4. ढाँचे की मरम्मत और प्रकाश व्यवस्था
टूटी खिड़कियों-दरवाजों की तुरंत मरम्मत और परिसर में हाई-मास्ट लाइट लगाई जाए।
प्लांट के पीछे की झाड़ियों को काटकर क्षेत्र साफ किया जाए।
5. जनता की सुरक्षा सर्वोपरि
उच्चस्तरीय जांच की मांग और जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई।
शहर के सभी फिल्टर प्लांटों का अनिवार्य सुरक्षा ऑडिट।
दूषित पानी पीने वाले उपभोक्ताओं के लिए स्वास्थ्य शिविर लगाए जाएँ।
फिल्टर प्लांट में उजागर सुरक्षा कमियाँ
चौंकाने वाले तथ्य
तीन शिफ्टों में चौकीदार होने के बावजूद निगरानी व्यवस्था बेहद कमजोर।
मोटर पंप और संपवेल वाले कमरों के दरवाज़े-खिड़कियाँ टूटी हुईं।
न बाउंड्री वॉल, न तार-फेंसिंग—किसी भी बाहरी व्यक्ति के प्रवेश पर रोक नहीं।
अंधेरा और असुरक्षित परिसर
रात 9 बजे के बाद असामाजिक तत्वों की आवाजाही की शिकायतें।
इलाके में रोशनी की भारी कमी, जिससे निगरानी कठिन।
आने-जाने वालों की पूछताछ या रोकथाम का कोई सिस्टम मौजूद नहीं।
आम नागरिकों की सेहत पर खतरा
विशेषज्ञों के अनुसार,
सड़ते जैविक पदार्थ पानी में मिलने से गंभीर संक्रमण, दस्त-उल्टी और वायरल रोगों का खतरा बढ़ जाता है।
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