शरीर और दिमाग़ जुड़े हुए हैं:हम जैसा सोचते हैं और महसूस करते हैं, शरीर पर वैसा ही उसका असर पड़ता है

शरीर और दिमाग़ जुड़े हुए हैं:हम जैसा सोचते हैं और महसूस करते हैं, शरीर पर वैसा ही उसका असर पड़ता है

हमारे दिमाग़ से जुड़ा होता है हमारा शरीर। इसलिए हम जो भी सोचते हैं या मस्तिष्क जैसा महसूस करता है, शरीर और उसकी सेहत पर उसका वैसा ही असर होता है। अगर हम ख़ुश हैं तो स्वस्थ रहेंगे, लेकिन अगर ग़ुस्से में हैं या दुखी हैं तो शरीर पर उसका नकारात्मक असर देखने को मिलता है। यानी हर मनोभाव का असर शरीर पर अलग-अलग नज़र आता है।

मन में बैठा क्रोध

यदि किसी कारण आप में क्रोध है, उसे मन में दबाकर रखा है और अंदर ही अंदर घुट रहे हैं तो आपके लिए यह कई रोग उत्पन्न कर सकता है। इससे सिरदर्द, तनाव, माइग्रेन, क्रॉनिक बैक पेन, फाइब्रोमायल्जिया जैसे रोग हो सकते हैं। फाइब्रोमायल्जिया में मांसपेशियों और हड्डियों में दर्द होता है, थकान महसूस होती है, जिससे नींद से संबंधित कई मुश्किलें आनी शुरू हो जाती हैं।

— इसलिए आपके मन में जो भी क्रोध है उसे मन में नहीं रखना चाहिए। इससे आप मन ही मन घुटते रहते हैं और कई प्रकार के रोगों को आमंत्रित करते हैं। क्रोध का हल ढूंढे। कारण समझें और उसे दूर करने की कोशिश करें। कारण समझना आईंदा भी क्रोध से दूरी बनाने में भी मदद करेगा।

— अच्छा संगीत सुनें, व्यस्त दिनचर्या में से समय निकालकर मेडिटेशन ज़रूर करें और योग को अपनी दिनचर्या में शामिल करें। अंदरूनी क्रोध व्यक्ति के कारण हो, उसे कहना संभव न हो, तो सिरदर्द, तनाव, माइग्रेन जैसी समस्याएं हो सकती हैं। मनो-सलाहकार की मदद लें।