सफाई एजेंसी मेसर्स पीवी रमन के खिलाफ दर्ज होगा केस....रिसाली निगम में सफाई के गलत भुगतान की जांच पूरी.....

दुर्ग. जिले के रिसाली नगर निगम में झूठे शपथ पत्र के आधार पर ब्लैक लिस्टेड सफाई एजेंसी मेसर्स पीवी रमन को सफाई का ठेका देने और उसे गलत तरीके से भुगतान करने के मामले की जांच पूरी हो चुकी है। वरिष्ठ कोषालय अधिकारी राघवेंद्र सिंह ने अपनी जांच रिपोर्ट अधिकारियों को सौंपी है। रिपोर्ट में उन्होंने इसे आर्थिक अनियमितता का मामला नहीं मानते हुए निगम प्रशासन को यह निर्देश दिया है कि वो मेसर्स पीवी रमन के खिलाफ थाने में फिर से मामला दर्ज कराकर कार्रवाई करें। भिलाई नगर निगम से अलग होकर बने नए रिसाली नगर निगम क्षेत्र में सफाई के लिए टेंडर आमंत्रित किया गया था। इस टेंडर में भिलाई नगर निगम से हटाए गए और धमतरी नगर निगम से ब्लैक लिस्टेड घोषित किए गए मेसर्स पीवी रमन ने भी टेंडर डाला था।
उसने टेंडर हासिल करने के लिए निगम को झूठा शपथ पत्र दिया था कि वो कहीं से भी ब्लैक लिस्टेड नहीं है। इसके बाद भाजपा पार्षद धर्मेंद्र भगत ने एमआईसी की बैठक में इस मुद्दे को उठाया और सभापति केशव बंछोर को धमतरी से 4 अगस्त 2022 को ब्लैक लिस्टेड किए गए पीवी रमन के पत्रांक (letter number) का हवाला देकर कार्रवाई की मांग की थी। मामला एमआईसी और मीडिया में उछलने के बाद सभापति रिसाली केशव बंछोर ने कलेक्टोरेट में शिकायत की थी कि निगम प्रशासन को अंधेरे में रख और फर्जी शपथ पत्र देकर सफाई ठेका लेने वाले मेसर्स पीवी रमन का ठेका निरस्त न करते हुए निगम प्रशासन ने उसे मार्च 2023 में भुगतान किया। ये आर्थिक अनियमितता की श्रेणी में आता है। इसके बाद जिला कोषालय अधिकारी राघवेंद्र सिंह ने जांच शुरू की थी। जांच के दौरान उन्होंने अपने जांच प्रतिवेदन में पाया कि निगम आयुक्त ने मामले का खुलासा होते ही मेसर्स पीवी रमन का ठेका निरस्त करते हुए उसकी सिक्योरिटी मनी को राजसात किया है।
मजदूरों को ईएसआईसी और ईपीएफ नहीं देने के मामले में उन्होंने कहा कि निगम प्रशासन को पहले ठेकेदार से मजदूरों के ईएसआईसी और ईपीएफ जमा करने की रसीद लेनी थी, उसके बाद ही अगले माह का भुगतान करना था। इसकी जगह निगम ने 35 प्रतिशत राशि रोककर भुगतान किया है। जांच अधिकारी ने निगम प्रशासन को दिए निर्देश जांच अधिकारी, जिला कोषालय दुर्ग राघवेंद्र सिंह का कहना है कि जांच में पाया गया था कि ठेका एजेंसी को रिसाली निगम ने जो भुगतान किया था, वो पूरी तरह से सही है। इसमें कोई आर्थिक अनियमितता नहीं हुई है। जब इस मामले ने तूल पकड़ा था, तो निगम ने ठेका एजेंसी की धरोहर राशि को राजसात कर लिया था। ये नियम के तहत सही था। ठेका एजेंसी मेसर्स पीवी रमन के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराकर कार्रवाई करने के लिए कहा गया है।