भिलाई में छह दिवसीय नि:शुल्क कला प्रशिक्षण शिविर का शुभारंभ, 112 बच्चों ने लिया उत्साहपूर्वक भाग
गीत वितान कला केंद्र की पहल, शास्त्रीय गायन, चित्रकला और की-बोर्ड वादन जैसे विषयों में बच्चों को मिल रहा प्रशिक्षण

भिलाई के रूआबांधा सेक्टर स्थित बी.एस.पी. अंग्रेजी माध्यमिक शाला में गीत वितान कला केंद्र द्वारा छह दिवसीय नि:शुल्क ग्रीष्मकालीन कला प्रशिक्षण शिविर की शुरुआत आज सुबह 9 बजे हुई। शिविर का उद्देश्य बच्चों को विविध कला रूपों से परिचित कराना एवं उनकी रचनात्मकता को निखारना है। इस पहल में 5 से 17 वर्ष आयु वर्ग के 112 विद्यार्थियों ने भाग लिया है।
भिलाई. गर्मी की छुट्टियों में बच्चों की प्रतिभा को नई उड़ान देने हेतु गीत वितान कला केंद्र द्वारा भिलाई के रूआबांधा सेक्टर स्थित बी.एस.पी. अंग्रेजी माध्यमिक शाला में आज से छह दिवसीय नि:शुल्क ग्रीष्मकालीन कला प्रशिक्षण शिविर का शुभारंभ हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन के साथ हुई।
शिविर के शुभारंभ अवसर पर संस्था की अध्यक्ष श्रीमती रजनी सिन्हा ने स्वागत भाषण दिया, जबकि लोकसंगीत विभाग की अध्यक्ष श्रीमती रजनी रजक ने आयोजन के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। मुख्य अतिथि पार्षद श्रीमती शिला नरखरे ने गीत वितान की इस नि:शुल्क पहल की सराहना करते हुए कहा कि अन्य संस्थानों को भी इस प्रकार की सामाजिक जिम्मेदारी निभानी चाहिए। शाला के प्रधानाचार्य श्री विमल टिंगूरिया ने शिविर में भाग लेने वाले विद्यार्थियों का स्वागत किया और गीत वितान के प्रयासों की प्रशंसा की।
शिविर के पहले दिन बच्चों को शास्त्रीय गायन, चित्रकला, पेंटिंग और की-बोर्ड वादन की प्रारंभिक बारीकियों का प्रशिक्षण दिया गया। बच्चों में उत्साह देखने योग्य था। पंजीकृत 112 बच्चों में न केवल बी.एस.पी. कर्मियों के बच्चे शामिल हैं, बल्कि झुग्गी बस्तियों से आने वाले बच्चों की सहभागिता भी उल्लेखनीय रही।
प्रशिक्षण देने वाले विशेषज्ञों में चंद्रा बेनर्जी, जयश्री मजूमदार, शरबानी गोस्वामी, सौरभ चक्रवर्ती, परिमल मंडल, शौर्य पाटिल और आकांशी गुप्ता प्रमुख रहे। साथ ही वाद्य सहायक के रूप में हर्ष सोनटेके और डेनिल कोसरिया ने सहयोग प्रदान किया।
कार्यक्रम को सफल बनाने में सहयोगी सदस्यों – सोमा घोष, प्रदीप कुमार मित्रा, संगीता लाहिड़ी, अल्पना शर्मा, प्रेमचंद साहू, शीबेन हालदार, संतोष जाटव, रजनी सोनी, दिनेश सिन्हा, राजेंद्र रजक, प्रशांत कुमार शिरसागर, किशोर कनोज और अंश सिंह – का विशेष योगदान रहा।
कार्यक्रम का समापन नृत्यमणि श्री मिथुन दास के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।