4 शुभ योग में फाल्गुन स्कंद षष्ठी व्रत आज, जान लें पूजा का शुभ मुहूर्त, मिलेगा संतान प्राप्ति का आशीर्वाद
फाल्गुन माह की स्कंद षष्ठी व्रत आज 25 फरवरी शनिवार को है. इस व्रत को करने से संतान की प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है और संतान पर कोई संकट नहीं आता है. शारीरिक कष्टों से भी मुक्ति मिलती है.

फाल्गुन माह की स्कंद षष्ठी व्रत आज 25 फरवरी शनिवार को है. हर माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी व्रत रखा जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस तिथि को शिव गौरी पुत्र कार्तिकेय का जन्म हुआ था. वे देवताओं के सेनापति हैं. स्कंद षष्ठी व्रत उनको समर्पित है. इस व्रत को करने से संतान की प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है और संतान पर कोई संकट नहीं आता है. शारीरिक कष्टों से भी मुक्ति मिलती है.
स्कंद षष्ठी व्रत पर 4 शुभ योग
तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव बताते हैं कि आज के दिन स्कंद षष्ठी व्रत चार शुभ योगों में है. इस दिन ब्रह्म योग, इंद्र योग, रवि योग और त्रिपुष्कर योग बन रहे हैं. आज रवि योग सुबह 06 बजकर 51 मिनट से 26 फरवरी को सुबह 03 बजकर 59 मिनट तक है.
ब्रह्म योग प्रात:काल से लेकर आज शाम 05 बजकर 18 मिनट तक है. उसके बाद से इंद्र योग प्रारंभ है. त्रिपुष्कर योग 26 फरवरी को प्रात: 03 बजकर 59 मिनट से सुबह 06 बजकर 50 मिनट तक है.
स्कंद षष्ठी व्रत 2023 तिथि
पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि 25 फरवरी को 12 बजकर 31 एएम पर शुरू हुई है और यह 26 फरवरी को 12 बजकर 20 एएम तक रहेगी. उदया तिथि के आधार पर स्कंद षष्ठी व्रत 25 फरवरी यानि आज रखना सही है.
स्कंद षष्ठी व्रत 2023 पूजा मुहूर्त
आज स्कंद षष्ठी व्रत की पूजा आप सुबह 06 बजकर 52 मिनट से सुबह 11 बजकर 09 मिनट के मध्य कभी भी कर सकते हैं. सुबह 06:52 बजे से सुबह 08:17 बजे तक चर सामान्य मुहूर्त है, जबकि सुबह 08:17 बजे से सुबह 09:43 बजे तक लाभ-उन्नति मुहूर्त है. सुबह 09:43 बजे से सुबह 11:09 बजे तक अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त है.
स्कंद षष्ठी व्रत का महत्व
स्कंद पुराण के अनुसार, इस व्रत को करने से प्रियव्रत का मरा हुआ बच्चा फिर से जीवित हो गया था और च्यवन ऋषि को आंखों की रोशनी दोबारा मिली थी. जो भी स्कंद षष्ठी का व्रत रखकर भगवान स्कंद यानि कार्तिकेय की पूजा करता है, उसे संतान सुख मिलता है. उसकी संतान सुखी जीवन व्यतीत करती है.