Chaitra Navratri 2024 : अष्टमी पर करा रहे हैं कन्या भोज, 6 नियमों का करें पालन, दिशा का भी रखें ध्यान
छोटी कन्याओं को देवी का रूप माना जाता है. नवरात्रि के समय में कन्या भोज कराया जाता है. जहां कन्याओं को दुर्गा का तो बालक को हनुमान जी का रूप माना जाता है. भोज से पहले कन्याओं की पूजा की जाती है. नवरात्रि के समय में नौ कन्याओं के साथ एक बालक को बैठाकर भोजन कराया जाता है.

हिंदू पंचागों में हर साल नवरात्रि दो बार मनाई जाती है. जिसमें एक नवरात्रि शरद ऋतु में मनाई जाती है जिसे शारदीय नवरात्रि कहते हैं वहीं दूसरी चैत्र के महीने में मनाई जाती है. इसे चैत्र नवरात्रि कहते हैं. इस बार की चैत्र नवरात्रि 9 अप्रैल से शुरू हो चुकी है. नौ दिनों तक मां के नौ रूपों की पूजा की जाती है. इस समय माता के साधक या भक्त नौ दिनों तक व्रत उपवास रखते हैं. नौ दिनों के व्रत उपवास के बाद अष्टमी और नवमी के दिन कन्याओं का पूजन कर भोजन कराया जाता है. कन्या भोज में नौ कन्याओं के साथ एक बालक को भोजन कराते हैं. जहां 9 कन्याओं को देवी के 9 रूप तो बालक को हनुमान जी का रूप माना जाता है. इस दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए आइए जानते हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से.
नवरात्रि के दिन कन्या भोज कराने से उपासक को बहुत पुण्य मिलता है. साथ ही 9 दिनों का उनका उपवास सफल होता है. लेकिन कन्या भोज कराते समय कुछ भूल हो जाने से माता दुर्गा नाराज भी हो सकती हैं. इसलिए कन्या भोज कराते समय कुछ नियमों को ध्यान रखना बहुत जरूरी है. आइए जानते हैं क्या हैं वे नियम.
1. कन्याओं की उम्र 2 से 10 साल तक हो
बाल रूप कन्याओं को ही माता दुर्गा का रूप माना जाता है. इसलिए जब आप कन्याओं को भोज के लिए बुला रहे हों तो इस बात का विशेष ध्यान रखें कि कन्याओं की आयु 2 से 10 के बीच हो. इसके अलावा कन्या पूजन में भाग लेने वाली कन्याएं 9 की संख्या में होनी चाहिए.2. एक दिन पहले भेजे बुलावा
नवरात्रि में अष्टमी और नवमी के दिन कन्या भोज कराया जाता है. लेकिन इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि आप जिस दिन कन्या भोज करा रही हैं उस दिन कन्या को नहीं बुलाना चाहिए. शास्त्रों में भी कहा गया है कि कन्या भोज के एक दिन पहले कन्याओं के घर जाकर उन्हें न्योता देना चाहिए.
3. कन्याओं के साथ हो एक बटुक भी
पुराणों में वर्णन है कि कन्याओं के भोज में जाते समय उनके साथ उनकी सुरक्षा के लिए हनुमान जी चलते थे. इसलिए जब घर में कन्या भोज कराएं उस समय एक बटुक यानि बालक को जरूर बुलाना चाहिए. एक बालक कन्याओं के साथ होना चाहिए. बालक हनुमान जी का रूप माना जाता है. कन्या भोज के समय उसकी पूजा कर उसको भी भोजन कराएं.
4. पूर्व दिशा में बैठाकर कराएं भोजन
नवरात्रि में कन्या भोज कराने के लिए कन्याओं को बैठाने के लिए दिशा का ध्यान रखना चाहिए. कन्या पूजन करने से पहले सभी 9 कन्याओं और बटुक को पूर्व दिशा की तरफ मुंह कराके बैठाएं. फिर पूजा करने के बाद भोजन परोसे.
5. जबरदस्ती ना खिलाएं
कन्या भोजन कराते समय इस बात का ध्यान रखें कि इस दिन सात्विक भोज ही भोग में लगाएं और वही भोग लगाने के बाद परोसे. कन्या भोज कराते समय इसका विशेष ध्यान रखें कि कन्याओं को जबरदस्ती नहीं खिलाएं. जितना उनका मन हो उतना खाने दें.
6. कन्याओं को दें दक्षिणा
कन्या पूजन और भोजन होने के बाद कन्याओं को और बटुक को दक्षिणा दें. दान-दक्षिणा करते समय इस बात का ध्यान रखें कि कन्याओं को धन का दान नहीं करें. इसकी जगह आप कोई आवश्यकता की वस्तु दे दें लेकिन धन देने से बचें. कन्या भोज के बाद धन की दक्षिणा देना अशुभ माना जाता है.