टाउनशिप में नो एंट्री टाइम बदलने की उठी मांग, सीटू ने कहा- बीएसपी के अधिकारी-कर्मचारियों का ड्यूटी टाइम बदला, लेकिन नो एंट्री का नहीं

टाउनशिप में नो एंट्री टाइम बदलने की उठी मांग, सीटू ने कहा- बीएसपी के अधिकारी-कर्मचारियों का ड्यूटी टाइम बदला, लेकिन नो एंट्री का नहीं

भिलाई स्टील प्लांट (BSP) में बायोमेट्रिक अटेंडेंस सिस्टम लागू होने के बाद अब अधिकारी-कर्मचारियों ने नो-एंट्री टाइम बदलने की मांग की है। सीटू के नेताओं ने इस्पात भवन और मानव संसाधन विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों की ड्यूटी टाइम बदलने के बाद यह मांग उठाई है।

सीटू के महासचिव जेपी त्रिवेदी ने बताया कि, शाम को 5-6 बजे तक नो एंट्री टाइम बीएसपी एरिया में रहता है। इसमें बदलाव करने की आवश्यकता है। इस मामले में वो अपने पदाधिकारियों के साथ सोमवार को बीएसपी के जीएम एचआर विकास चंद्रा से मिले। उन लोगों ने कार्यपालक निदेशक एचआर के नाम अपना मांग पत्र सौंपा है। सीटू नेताओं ने कहा कि, इस्पात भवन और मानव संस्थान विभाग में काम करने वाले अधिकारी-कर्मचारियों का ड्यूटी टाइम बदल गया है। इसलिए इसके मुताबिक नो एंट्री का टाइम भी बदल जाना चाहिए। सचिव लक्ष्मी नारायण अग्रवाल ने कहा कि, बायोमेट्रिक अटेंडेंस सिस्टम लागू होने के बाद इस्पात भवन और एचआई ऑफिस में काम करने वाले कर्मचारियों का समय बदलकर 5.45 बजे कर दिया गया।

सभी कर्मचारी समय पर ड्यूटी खत्म कर निकलते हैं। वो लोग फेस रीडिंग की प्रक्रिया पूरी कर जब तक सड़क तक पहुंचते हैं, तो नो एंट्री का टाइम 6 बजे समाप्त हो जाता है। सभी भारी वाहन तेजी से वहां से निकलने लगते हैं। इससे वहां दुर्घटना का जोखिम काफी बढ़ जाता है। ऐसे में सभी बीएसपी कर्मचारी अपनी जान जोखिम में डालकर भारी वाहनों के ट्रैफिक के बीच से घर जाना कर रहे हैं। उन्होंने मांग की है कि बीएसपी टाउनशिप में नो एंट्री का टाइम बदलकर 5 से 6.30 बजे तक किया जाना चाहिए।

उन्होंने बताया कि, पिछले 14 अक्टूबर को भिलाई के 9 ट्रेड यूनियन ने मिलकर सड़क पर धरना प्रदर्शन किया था। सभी लोग इक्विपमेंट चौक पर मौजूद थे। उसी दौरान उन्होंने देखा कि शाम 5.45 बजे बीएसपी कर्मचारी एचआर बिल्डिंग और इस्पात भवन से ड्यूटी पूरी कर घर जाने के लिए निकले। उसी समय प्लांट के कर्मचारी भी ड्यूटी से छूटे थे। शाम 5.50 बजे एक ट्रक नो एंट्री को तोड़ते हुए आया और एक कर्मचारी को अपनी चपेट में ले लिया था। इस दुर्घटना में उस कर्मचारी की जान तो बच गई, लेकिन उसे गंभीर चोटें आई थीं। उसकी गाड़ी पूरी तरह से टूट गई थी।