अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन को पीएम मोदी ने किया संबोधित, कहा- सदन में नियम तोड़ने वालों का महिमामंडन अच्छा संकेत नहीं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि पीठासीन अधिकारी संविधान सभा के आदर्शों से प्रेरणा लें…
नईदिल्ली (ए)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन को संबोधित किया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि राजनीतिक दलों का सदन के नियम तोड़ने वाले सदस्यों का समर्थन, महिमामंडन करना और उनके आचरण का बचाव करना विधायिका के लिए अच्छा संकेत नहीं है। पीएम ने कहा, पहले किसी सदस्य पर भ्रष्टाचार का आरोप लगता था तो सार्वजनिक जीवन में सभी उससे दूरी बना लेते थे लेकिन आज हम कोर्ट से सजा पाए भ्रष्टाचारियों का भी सार्वजनिक रूप से महिमामंडन होते हुए देखते हैं। उन्होंने कहा, एक समय था, जब सदन में यदि कोई सदस्य नियम तोड़ता था और उस सदस्य के खिलाफ कार्रवाई होती थी तो सदन के वरिष्ठ सदस्य उससे बात करते थे। ताकि भविष्य में वह गलती न दोहराये और सदन के नियम न तोड़े, लेकिन आजकल कुछ राजनीतिक दल ऐसे सदस्यों के समर्थन में खड़े होते हैं और उनकी गलतियों का बचाव करते हैं। यह संसद या राज्य विधानमंडल के लिए स्थिति अच्छी नहीं है। इस दौरान लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और राज्यसभा के उपाध्यक्ष हरिवंश नारायण सिंह मौजूद रहे। 250 प्रतिनिधियों ने इस सम्मेलन में हिस्सा लिया।
युवा प्रतिनिधियों को अधिक अवसर दिए जाएं
पीएम मोदी ने कहा कि युवा निर्वाचित प्रतिनिधियों को विधायी समितियों में अधिक अवसर दिया जाना चाहिए, ताकि वे नीति-निर्माण में अधिक भाग ले सकें। प्रधानमंत्री ने नारी शक्ति वंदन अधिनियम को मंजूरी देने समेत कई उपलब्धियों का जिक्र करते हुए कहा कि युवा निर्वाचित प्रतिनिधियों को विधायी समितियों में अधिक अवसर दिया जाए ताकि नीति निर्धारण में अधिक भाग ले सकें। पीएम मोदी ने यह भी कहा कि उनकी सरकार ने पिछले 10 वर्षों में 2000 पुराने कानूनों को खत्म कर दिया है। ई-विधान और डिजिटल संसद पहल के माध्यम से ‘एक राष्ट्र, एक विधान मंच’ पर काम चल रहा है।
कुछ ऐसा करें कि आपके प्रयास पीढ़ियों के लिए धरोहर बन सकें: प्रधानमंत्री ने कहा कि 26 जनवरी को ही संविधान लागू हुआ था जिसके 75 वर्ष पूरे होे रहे हैं। इस सम्मेलन में उपस्थित सभी पीठासीन अधिकारियों के पास यह अवसर है कि वे एक बार फिर संविधान सभा के आदर्शों से प्रेरणा ले। सभी अपने कार्यकाल में भी कुछ ऐसा करने का प्रयास करें जो पीढ़ियों के लिए एक धरोहर बन सके।
भारत तभी प्रगति करेगा जब राज्य समृद्ध होंगे
मोदी ने कहा कि भारत तभी प्रगति करेगा जब राज्य समृद्ध होंगे। राज्यों की प्रगति, उनके विकास लक्ष्यों को सामूहिक रूप से परिभाषित करने के लिए उनके विधायी और कार्यकारी निकायों के दृढ़ संकल्प पर निर्भर करती है। राज्य की आर्थिक प्रगति के लिए समितियों का सशक्तीकरण महत्वपूर्ण है। ये समितियां निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए जितनी सक्रियता से काम करेंगी, राज्य उतना ही आगे बढ़ेगा।
जन प्रतिनिधियों का आचरण संसदीय मर्यादा के अनुरूप होना चाहिए- ओम बिरला
इससे पहले, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आज मुंबई के महाराष्ट्र विधानमंडल परिसर में 84वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन (एआईपीओसी) का उद्घाटन किया। इस दौरान उन्होंने ने विधायिका में अनुशासनहीनता, कार्यवाही में व्यवधान और असंसदीय आचरण से उनकी विश्वसनीयता प्रभावित होने की घटनाओं पर चिंता जताई। उन्होंने कहा, लोकतांत्रिक व्यवस्था में असहमति को आवाज के लिए पर्याप्त जगह है, इसलिए व्यवधान को विरोध और असहमति के उपकरण के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। विधानमंडलों की प्रतिष्ठा व गरिमा और उनमें गरिमामय आचरण को बनाए रखना सर्वोपरि है। यह चिंता का विषय है कि इन मुद्दों पर आम सहमति होने के बावजूद, हम अभी तक सदन के सुचारू कामकाज के लिए अपनी प्रतिबद्धताओं को लागू नहीं कर पाए हैं। बिरला ने सदस्यों से उनका समय सदन में फलदायी कार्यों में लगाने की अपील की।