खास समाचार : सेल का 43,000 प्रति टन उत्पादन खर्च, 50,000 में बिक्री के बावजूद कम मुनाफा – कर्मियों ने उठाए सवाल

17 मिलियन टन बिक्री और 11,000 करोड़ EBITDA के बाद भी केवल 3,000 करोड़ मुनाफा, कर्मियों ने पारदर्शिता पर उठाए सवाल

खास समाचार : सेल का 43,000 प्रति टन उत्पादन खर्च, 50,000 में बिक्री के बावजूद कम मुनाफा – कर्मियों ने उठाए सवाल

इंटरनेट मीडिया पर सेल की यूनिट्स के उत्पादन खर्च और बिक्री मूल्य की जानकारी सार्वजनिक होने के बाद सेल कर्मियों के बीच नाराजगी गहराती जा रही है। कर्मियों ने प्रबंधन से पूछा है कि जब उत्पाद की बिक्री लागत और मुनाफे के आँकड़े इतने अच्छे हैं, तो फिर शुद्ध लाभ में इतनी भारी गिरावट क्यों देखी जा रही है।

भिलाई। स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) के विभिन्न स्टील संयंत्रों की उत्पादन लागत और बिक्री मूल्य के आँकड़े हाल ही में इंटरनेट मीडिया पर सामने आने के बाद कर्मियों में नाराजगी और सवालों की बौछार शुरू हो गई है।

आँकड़ों के अनुसार, सेल की इकाइयों में औसतन प्रति टन उत्पादन लागत 43,000 रुपये से अधिक है, जबकि बिक्री मूल्य औसतन 50,000 रुपये प्रति टन है। इससे प्रति टन 7,000 रुपये का लाभ दिखाई देता है। इसके बावजूद, 17 मिलियन टन बिक्री के बाद भी मुनाफा केवल 3,000 करोड़ रुपये बताया गया है। इस विसंगति पर सेल कर्मियों ने कड़ा एतराज़ जताया है।

सेल की इकाइयों की प्रति टन उत्पादन लागत (₹):

  • भिलाई – 44,493
  • दुर्गापुर – 43,846
  • राउरकेला – 43,268
  • बोकारो – 41,496
  • बर्नपुर – 41,868

औसतन बिक्री मूल्य (₹/टन):

  • फ्लैट प्रोडक्ट (बोकारो, राउरकेला): ₹47,300
  • लॉन्ग प्रोडक्ट (भिलाई, दुर्गापुर, बर्नपुर): ₹52,500
  • कोकिंग कोल की लागत: ₹18,500 प्रति टन

कर्मियों का आरोप है कि सेल हर साल उत्पादन के नए रिकॉर्ड बना रहा है, और EBITDA (ब्याज, कर, मूल्यह्रास पूर्व लाभ) के आँकड़े भी उल्लेखनीय रहते हैं। लेकिन कर पूर्व लाभ और कर पश्चात लाभ EBITDA का महज 25% ही रह जाता है। इससे लेखा प्रणाली और लाभ प्रबंधन की पारदर्शिता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

बीएकेएस अध्यक्ष अमर सिंह ने कहा,

"पिछले 6–7 वर्षों में सेल का कुल EBITDA 60,000 करोड़ से अधिक रहा है। इस वर्ष भी 11,000 करोड़ से अधिक है, लेकिन लाभ केवल 3,000 करोड़ प्रदर्शित किया गया है। हर वर्ष 6,000 से 7,500 करोड़ रुपये कैपेक्स (पूंजीगत व्यय) में खर्च किए जाते हैं, और ऋण भी लगातार घट रहा है। यह साबित करता है कि कर्मियों की मेहनत से अर्जित लाभ को कैपेक्स में झोंका जा रहा है, जबकि कर्मियों की कई जायज़ माँगें वर्षों से लंबित हैं।"

कर्मियों की मांग है कि सेल प्रबंधन को लाभ की वास्तविक स्थिति, पूंजीगत व्यय और वेतन-सुविधाओं में संतुलन बनाए रखना चाहिए। साथ ही, लेखा और व्यय की पारदर्शिता सुनिश्चित की जानी चाहिए।