विश्व संगीत दिवस पर दिव्यांग प्रतिभाओं के सुरों ने बाँधा समां
सुरधारा म्यूजिकल फाउंडेशन द्वारा दृष्टिबाधित बच्चों के लिए भव्य “संगीत महोत्सव” का आयोजन, मंच पर बिखरे आत्मबल और कला के रंग

विश्व संगीत दिवस के अवसर पर दुर्ग में एक अनूठा आयोजन हुआ, जिसने समावेशी समाज की दिशा में एक नई मिसाल पेश की। सुरधारा म्यूजिकल फाउंडेशन द्वारा आयोजित “संगीत महोत्सव” में दृष्टिबाधित बच्चों ने अपनी संगीत प्रतिभा से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
दुर्ग। विश्व संगीत दिवस के अवसर पर सुरधारा म्यूजिकल फाउंडेशन, दुर्ग द्वारा सुराना महाविद्यालय के सेमिनार हॉल में एक विशेष “संगीत महोत्सव” का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में विशेष रूप से दृष्टिबाधित बच्चों की प्रस्तुतियों ने श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। यह आयोजन केवल एक सांगीतिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि आत्मविश्वास, समावेशन और सामाजिक समरसता का जीवंत उदाहरण बन गया।
फाउंडेशन की अध्यक्ष ज्योति ध्रुव, जिन्हें "विश्व रत्न सम्मान" से नवाजा जा चुका है, इस आयोजन की प्रेरणास्रोत रहीं। उनके नेतृत्व में, गुरु मां स्वर कोकिला पुष्पलता नेताम के आशीर्वाद और पूरी टीम के सहयोग से यह आयोजन अत्यंत सफल रहा। कार्यक्रम में उपाध्यक्ष विकाश अग्रवाल, सचिव उमेश यादव, कोषाध्यक्ष राजेश गुप्ता, सह सचिव आनंद बक्शी, विशेष सलाहकार राजू ऊके और अन्य कार्यकारिणी सदस्यगण ने सक्रिय भागीदारी निभाई।
कार्यक्रम की शोभा बढ़ाने पहुंचे गणमान्य अतिथियों में सुराना महाविद्यालय के अध्यक्ष प्रवीण तिवारी, प्राचार्य डॉ. पूजा मल्होत्रा, नेशनल स्कूल के अध्यक्ष वीरेंद्र शुक्ला, समाजसेवी नीतू श्रीवास्तव, पूर्व कमिश्नर विवेक अग्रवाल और लेफ्टिनेंट बी. एल. देशमुख प्रमुख थे।
मंच पर प्रस्तुतियाँ देने वाले दृष्टिबाधित बच्चों – विवेक यादव, लेमन बोरकर, आयुष गुप्ता, लोचन राजरानी, लोकेन्द्र दास, अजय दुबे, रोशन साहू और आयुषी ध्रुव – ने श्रोताओं को अपने सुरों से भावविभोर कर दिया।
कार्यक्रम की सफलता में सुराना महाविद्यालय प्रशासन का सहयोग विशेष रूप से सराहनीय रहा। यह आयोजन केवल एक सांगीतिक प्रस्तुति नहीं, बल्कि समाज को यह संदेश देने का प्रयास था कि दिव्यांगजन न केवल सक्षम हैं, बल्कि उनके लिए अवसर उपलब्ध कराना हम सभी की जिम्मेदारी है।