छत्तीसगढ़ में ओला-उबर ड्राइवरों की हड़ताल:बोले-पहले से अधिक कमीशन, सुविधाएं नाम मात्र की नहीं; घर का खर्चा चलाना भी मुश्किल

अगर आप ओला और उबर से टैक्सी बुक करके कहीं जाना चाहते हैं तो आपको ये सुविधा फिलहाल नहीं मिलेगी। पूरे छत्तीसगढ़ में ओला और उबर के सैकड़ों टैक्सी ड्राइवर एक साथ अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। उनका कहना है कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जाएंगी वो हड़ताल जारी रखेंगे। इसके चलते सोमवार को रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग-भिलाई के स्टेशनों पर यात्री परेशान होते रहे। ओला और उबर के टैक्सी ड्राइवरों से बात की तो उन्होंने कई समस्याएं रखीं। उन्होंने कहा कि जब तक उनकी मांगों का सही समाधान नहीं होता वो लोग ओला और उबर की सारी डिवाइस बंद करके हड़ताल पर रहेंगे।
ओला ड्राइवर अभिषेक ने बताया कि ओला का कमीशन इतना अधिक हो गया है कि उसको देने के बाद गाड़ी का खर्चा निकल नहीं पा रहा है। पहले ओला 20 प्रतिशत कमीशन लेता था ।अब इसे बढ़ाकर 30-35 प्रतिशत कर दिया है। उसका कमीशन फिक्स नहीं है।
ओला ने अपने ड्राइवरों की समस्या सुनने के लिए एक भी ऑफिस नहीं बनाया है पूरे छत्तीसगढ़ में। एक अधिकारी को उसने रखा है वो कोलकाता में बैठकर बंगाल, ओडिशा और छत्तीसगढ़ तीन-तीन राज्य को देखता है। उसको फोन करने पर वो कोई जवाब नहीं देता है। कभी गाड़ी ऑफ रोड हो गई कोई बड़ी विपदा या समस्या आ गई तो वो अधिकारी फोन पर बात ही नहीं करता, न किसी समस्या सुनता है। वॉट्सएप करने पर उसका रिप्लाई नहीं आता है।
गाड़ी के पेपर में हर साल खर्च होता है 50 हजार रुपए
ओला ड्राइवर का कहना है कि ओला और उबर में टैक्सी परमिट के साथ-साथ कई ऐसी फॉर्मेलटी होती हैं, जिन्हें पूरा करने में हर साल 50 हजार रुपए खर्च करने पड़ते हैं। वहीं दूसरी ऑनलाइन टैक्सी सर्विसेस में लगी प्राइवेट नंबर की गाड़ियां धड़ल्ले से बुकिंग ले रहे हैं। पुलिस या जिला प्रशासन से इसकी शिकायत करने पर उन पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती, न ही ओला चालकों की सुनी जाती है। प्रशासन को चाहिए कि वो प्राइवेट नंबर टैक्सी पर कार्रवाई करे।
सभी टैक्स देने के बाद भी ओला टैक्सी वालों के लिए पार्किंग नहीं
ओला और उबर की जितनी भी गाड़ियां हैं वो परमिट से लेकर हर तरह का टैक्स पे करती हैं। इसके बाद उनके लिए न तो बस स्टैंड, न रेलवे स्टेशन और न एयरपोर्ट, कहीं पर भी पार्किंग की व्यवस्था नहीं है। वहीं दूसरी गाड़ियों के लिए पार्किंग की व्यवस्था की जाती है। इसलिए ओला और उबर वालों को चाहिए वो इसके लिए बात करें।