ठंड बढ़ते ही समुद्र से नमी, इसलिए शीतलहर रुकी; ठंड में हर साल शीतलहर के औसतन 6 दिन, इस बार अब तक नहीं
ठंड बढ़ते ही समुद्र से नमी, इसलिए शीतलहर रुकी; ठंड में हर साल शीतलहर के औसतन 6 दिन, इस बार अब तक नहीं
छत्तीसगढ़ के सभी हिस्सों को मिलाकर ठंड में औसतन छह-छह दिन शीतलहर चल ही जाती है। इस दौरान रायपुर सहित प्रदेश के प्रमुख शहरों में रात का तापमान सामान्य से 5-6 डिग्री तक नीचे चला जाता है। सरकार को दो-तीन बार इस वजह से प्रदेश में अलर्ट जारी करना पड़ता है, लेकिन इस साल अब तक ऐसा नहीं हुआ है। दिसंबर की 24 तारीख तक प्रदेश में कहीं भी शीतलहर की घोषणा नहीं की जा सकती है। मौसम विभाग पुणे के डाटा के अनुसार 1901 से 2010 तक पिछले 20 सालों में औसतन हर साल तीन दिन शीत लहर चलती थी, लेकिन पिछले दशक यानी 2011 से 2021 के दौरान शीतलहर के दिनों की संख्या 3 से बढ़कर 6 दिन सालाना हो गई है।
लेकिन छत्तीसगढ़ में अब तक मामला उलटा है। विशेषज्ञों के मुताबिक इस साल प्रदेश के अधिकांश हिस्से में जैसे ही शीतलहर के हालात बन रहे हैं, बंगाल की खाड़ी में कोई सिस्टम बनता है और नमी आ जाती है। इससे शीतलहर तो दूर, ठंड ही रुक रही है।
मौसम विशेषज्ञों के अनुसार शीतलहर तो तरह के हालात को कहा जाता है। पहला, जब रात का तापमान 10 डिग्री नीचे चला जाए और तापमान सामान्य से साढ़े 4 डिग्री कम हो। दूसरा, न्यूतनम तापमान में सामान्य से 5 डिग्री या उससे अधिक की कमी आ जाए।
प्रदेश में भी शीतलहर में मौतें
छत्तीसगढ़ में औमतार पर शीतलहर के दौरान ठंड से पूरे प्रदेश में औसतन पांच से छह मौते होती हैं। खासतौर पर उत्तरी छत्तीसगढ़ के पेंड्रारोड, अंबिकापुर, जगदलपुर, रायपुर, दुर्ग आदि इलाकों में शीतलहर चलती है। इस दौरान कहीं-कहीं पर ठंड से मौतों की जानकारी आती है। ठंड बढ़ने पर कहीं-कहीं घना कोहरा और धुंध भी बढ़ जाती है। इसकी वजह से हादसे भी होने लगते हैं। शीतलहर का सबसे ज्यादा असर लोगों की सेहत पर पड़ता है।
इस साल नवंबर अंत से अब तक लगातार नमी आ रही है। बंगाल की खाड़ी में आए तूफान और उसके बाद दक्षिण भारत में लगातार बारिश इसकी वजह है। दोनों ही स्थिति में छत्तीसगढ़ में बादल आने लगते हैं और ठंड लगभग खत्म हो जाती है। प्रदेश में इस साल मौसम शुष्क है और उत्तर से हवा आ रही है, लेकिन साथ ही समुद्र से भी नमीयुक्त हवा आने के कारण रात के तापमान में लगातार उतार-चढ़ाव आ रहा है। इस वजह से एक भी बार स्थिति शीतलहर जैसी नहीं बन पाई है।