युक्तियुक्तकरण नीति के खिलाफ दुर्ग में गरजा शिक्षक समुदाय, अरुण वोरा बोले - "यह सरकार शिक्षा को बोझ समझती है!"
दुर्ग में 1000 से अधिक शिक्षकों ने सड़कों पर उतरकर किया विरोध प्रदर्शन, कांग्रेस नेता अरुण वोरा ने समर्थन देते हुए भाजपा सरकार को घेरा — "स्कूल बंद हो रहे, शराब दुकानें खुल रही हैं।"

दुर्ग में शिक्षा विभाग की युक्तियुक्तकरण नीति के खिलाफ मंगलवार को व्यापक विरोध प्रदर्शन देखने को मिला। सैकड़ों शिक्षकों ने हिंदी भवन के समक्ष सरकार के खिलाफ आवाज़ बुलंद की। प्रदर्शन को राजनीतिक समर्थन भी मिला जब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री अरुण वोरा मौके पर पहुंचे और राज्य सरकार की नीतियों को 'शिक्षा विरोधी' बताया।
दुर्ग। छत्तीसगढ़ सरकार की युक्तियुक्तकरण नीति एक बार फिर विवादों के घेरे में है। अगस्त 2024 में लागू की गई इस नीति को इस वर्ष भी बिना किसी संशोधन के दोहराया गया, जिससे शिक्षकों में आक्रोश की लहर दौड़ गई। मंगलवार को दुर्ग के हिंदी भवन के समक्ष 1000 से अधिक शिक्षक एकत्र होकर सड़कों पर उतर आए और नीति के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया।
प्रदर्शन में शामिल शिक्षकों का आरोप है कि सरकार की यह नीति शिक्षा व्यवस्था को ध्वस्त करने वाली है। छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के अनुसार, नीति के तहत राज्य के करीब 30,000 स्कूलों को या तो बंद किया जाएगा या अन्य स्कूलों में मर्ज कर दिया जाएगा, वहीं लगभग 40,000 शिक्षकों के पद समाप्त किए जा रहे हैं।
संघ का कहना है कि वे युक्तियुक्तकरण के मूल विचार के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन इसे 2008 की पुरानी संरचना के आधार पर लागू करना शिक्षा के साथ अन्याय है।
इस आंदोलन को राजनीतिक समर्थन तब मिला जब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री अरुण वोरा स्वयं प्रदर्शन स्थल पहुंचे और शिक्षकों से संवाद किया। उन्होंने तीखा हमला बोलते हुए कहा:
> "भारतीय जनता पार्टी की सरकार को न तो शिक्षा की चिंता है और न ही शिक्षकों की!"
"जिस सरकार ने पिछले एक साल में 67 शराब दुकानें खोल दीं, वह अब स्कूलों को बंद कर रही है और शिक्षकों की नौकरियाँ समाप्त कर रही है।"
"यह सरकार बच्चों की पढ़ाई को बोझ मान रही है। 10,000 स्कूलों को बंद करने और 45,000 शिक्षकों के पद समाप्त करने की साजिश की जा रही है।"
वोरा ने राज्य सरकार पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि एक ओर शराब कारोबार को बढ़ावा दिया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर शिक्षा व्यवस्था को हाशिए पर डाला जा रहा है।
शिक्षकों ने एक स्वर में मांग की कि युक्तियुक्तकरण की वर्तमान प्रक्रिया को तत्काल रोका जाए और शिक्षा को प्राथमिकता दी जाए।