सुशासन तिहार में छत्तीसगढ़ की जनता ने दिखाई जागरूकता, संवाद बना विकास का माध्यम
ऑनलाइन और ऑफलाइन संवाद से सरकार और जनता के बीच बना सीधा संबंध, समस्याओं का हो रहा त्वरित समाधान

छत्तीसगढ़ में पहली बार "सुशासन तिहार" के रूप में एक नई पहल देखने को मिल रही है, जिसमें सरकार ने आम नागरिकों से सीधे संवाद स्थापित कर लोकतंत्र को मजबूत करने का सफल प्रयास किया है। चाहे शहर हो या गांव, नागरिक उत्साह के साथ अपनी समस्याएं और सुझाव प्रशासन को दे रहे हैं, और शासन भी पूरी गंभीरता से समाधान देने में सक्रिय दिखाई दे रहा है।
भिलाई। छत्तीसगढ़ सरकार की अनोखी पहल "सुशासन तिहार" ने प्रदेश में लोकतांत्रिक संवाद की नई मिसाल कायम की है। पहली बार ऐसा हुआ है जब आम नागरिकों को ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से सरकार और प्रशासन से सीधे संवाद का अवसर मिला है।
लोगों ने अपने मोहल्लों, सड़कों, गलियों और कॉलोनियों से जुड़ी समस्याओं को खुलकर सामने रखा। इससे न केवल जनता में जागरूकता बढ़ी है, बल्कि प्रशासनिक तंत्र की कार्यशैली में भी स्पष्ट सुधार देखा जा रहा है। मुख्यमंत्री, जनप्रतिनिधि और वरिष्ठ अधिकारी स्वयं क्षेत्रों का औचक निरीक्षण कर लोगों से संवाद कर रहे हैं, जिससे प्रशासनिक पारदर्शिता में इजाफा हुआ है।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि शिकायतों को पावती के साथ दर्ज किया जा रहा है और उनके समाधान के लिए जवाब भी ऑनलाइन और लिखित रूप में दिए जा रहे हैं। एक कार्य प्रणाली की तरह सुशासन तिहार ने जनभागीदारी को प्राथमिकता दी है, जो छत्तीसगढ़ के भविष्य के विकास की नींव साबित हो सकती है।
इस पहल से साफ हो गया है कि जब सरकार जनता के बीच जाकर संवाद करती है, तो सुशासन केवल एक नारा नहीं बल्कि वास्तविकता बन जाता है। यह सुशासन तिहार एक आदर्श उदाहरण बनकर उभर रहा है, जिसे अन्य राज्य भी अपनाने की प्रेरणा ले सकते हैं।