हड़ताल का असर:बिल करेक्शन और मीटर लगाने के लिए आवेदन लेकर भटकते रहे लोग, पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने की मांग

हड़ताल का असर:बिल करेक्शन और मीटर लगाने के लिए आवेदन लेकर भटकते रहे लोग, पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने की मांग

बिजली कंपनी के अधिकारी और कर्मचारी शुक्रवार को हड़ताल पर रहे। हड़ताल का बिजली आपूर्ति पर प्रभाव तो नहीं पड़ा लेकिन दफ्तरों का कामकाज लगभग ठप रहा। कार्मिकों की गैर मौजूदगी में नए कनेक्शन, मीटर बदलने और बिल में करेक्शन जैसे कार्य के लिए आवेदन लेकर दफ्तर पहुंचने वाले उपभोक्ताओं को बैरंग लौटना पड़ा।

छत्तीसगढ़ राज्य पॉवर कंपनी में जनवरी 2004 और उसके बाद ज्वाइन करने वाले कार्मिकों को नई पेंशन स्कीम (एनपीएस) के दायरे में रखा गया है। जबकि उसके पहले ज्वाइन करने वाले कार्मिकों के लिए पुरानी पेंशन स्कीम (ओपीएस) लागू है। 2004 के बाद ज्वाइन करने वाले कार्मिकों का कहना है कि उनके लिए एनपीएस लागू होने की वजह से हर महीने बड़ा आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा। वहीं पुराने कार्मिक पेंशन के मामले में फायदे में रहेंगे। ऐसा कर कंपनी उनके साथ अन्याय कर रही है। कार्मिकों का विरोध जारी रहेगा।

हड़ताल को 9 संगठनों व यूनियनों का समर्थन

पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने की मांग को लेकर चल रहे आंदोलन को 9 संगठनों व यूनियनों का समर्थन प्राप्त है। कंपनी के कुल 9 हजार कार्मिकों नई पेंशन स्कीम के दायरे में है। इन संगठनों के पदाधिकारियों व यूनियन नेताओं ने चेतावनी दी है कि सामूहिक अवकाश के बाद भी कंपनी प्रबंधन पुरानी पेंशन योजना बहाल करने के संबंध में सकारात्मक निर्णय नहीं लेता है, तो 6 सितंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल की जाएगी।

आउट सोर्स पर होने से सप्लाई व्यवस्था सामान्य रही

बिजली सप्लाई व्यवस्था आउट सोर्स में होने की वजह से यह काम बिना किसी बाधा के संचालित होता रहा। हालांकि प्रबंधन ने इससे निपटने के लिए अतिरिक्त व्यवस्था करते हुए पुराने कर्मियों की तैनाती कर रखी थी। इस लिहाज से अधिकारियों-कर्मचारियों के हड़ताल में होने के बाद भी बिजली उपभोक्ताओं को बिजली गुल हो जाने जैसी समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ा।

दफ्तर में जो कार्मिक थे उन्होंने भी काम टाला

सामूहिक अवकाश पर 2004 और उसके बाद ज्वाइन करने वाले कार्मिक थे। उसके पहले कंपनी ज्वाइन करने वाले कार्मिकों ने खुद को हड़ताल से अलग रखा। क्योंकि वे पहले से ही पुरानी पेंशन स्कीम के पात्र है। वे हर रोज की तरह दफ्तर तो पहुंचे लेकिन उन सेक्शन का काम नहीं किया जिसका सीधा संबंध उपभोक्ताओं से पड़ता है। लिहाजा लोग समस्या लेकर पहुंचते रहे, लेकि​न दफ्तरों में उनकी सुनवाई नहीं हुई।