छत्तीसगढ़ी भाखा को शिक्षा और कामकाज से जोड़ने भिलाई से उठी आवाज

गुनान गोष्ठी में जुटे सैकड़ों साहित्यकार और बुद्धिजीवी, सरकारी नौकरी व जनगणना तक मातृभाखा को मान्यता देने की रखी मांग

छत्तीसगढ़ी भाखा को शिक्षा और कामकाज से जोड़ने भिलाई से उठी आवाज

  महतारी भाखा छत्तीसगढ़ी के सम्मान और संवर्धन की मुहिम ने नया मोड़ ले लिया है। भिलाई के सिविक सेंटर स्थित प्रगति भवन में आयोजित गुनान गोष्ठी में सैकड़ों साहित्यकार, कलाकार और प्रखर बुद्धिजीवी जुटे और छत्तीसगढ़ी भाखा को शिक्षा, सरकारी कामकाज और न्यायालय तक पहुंचाने का संकल्प लिया।

भिलाई। भिलाई में रविवार को छत्तीसगढ़ी समाज द्वारा आयोजित गुनान गोष्ठी मातृभाखा के सम्मान और पहचान का सशक्त मंच बनी। प्रगति भवन में हुए इस आयोजन में प्रदेशभर से आए साहित्यकारों, कलाकारों और बुद्धिजीवियों ने एकमत होकर कहा कि छत्तीसगढ़ी भाखा को शिक्षा, रोजगार और प्रशासन से जोड़ना ही समय की मांग है।

कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। जिला अध्यक्ष मनोज साहू ने संस्था के इतिहास को रेखांकित किया। मुख्य अतिथि नरेंद्र कुमार बंछोर ने कहा कि छत्तीसगढ़ी संस्कृति को बचाने के लिए शिक्षा को माध्यम बनाना होगा और जिनकी भावना मातृभाखा के पक्ष में है, उन्हें सहयोग देना जरूरी है।

वरिष्ठ साहित्यकार दुर्गा प्रसाद पारकर ने कहा कि जन्म प्रमाण पत्र और जनगणना पत्रक में मातृभाखा छत्तीसगढ़ी दर्ज होनी चाहिए और भाषा को रोजगार से जोड़ा जाए। वरिष्ठ कलाकार पीसी लाल यादव ने कहा कि भाखा की उपयोगिता मस्तिष्क को विकसित करती है और हमें सांस्कृतिक दिखावे से बचते हुए आत्मिक जुड़ाव बढ़ाना होगा।

प्रो. सुधीर शर्मा ने कहा कि राज्य निर्माण का असली श्रेय छत्तीसगढ़ी कलाकारों और साहित्यकारों को जाता है। उन्होंने प्रश्न उठाया – जब एम.ए. की पढ़ाई छत्तीसगढ़ी भाखा में हो रही है तो प्राथमिक शिक्षा मातृभाखा में क्यों नहीं?
राजभाषा आयोग के पूर्व सचिव अनिल भतपहरी ने छत्तीसगढ़ी भाखा को कामकाज और पाठ्यक्रम से जोड़ने पर अपने अनुभव साझा किए।

अध्यक्षता कर रहे प्रदेश अध्यक्ष सत्यजीत साहू ने कहा कि हमारी लड़ाई किसी भाषा के खिलाफ नहीं, बल्कि क्षेत्रीय भाखाओं के संरक्षण और अंतिम व्यक्ति तक न्याय सुनिश्चित करने की है।

आठ महत्वपूर्ण प्रस्ताव
सभा में आठ प्रस्ताव पारित किए गए––सरकारी नौकरी में छत्तीसगढ़ियों को प्राथमिकता, न्यायालय व बैंक में छत्तीसगढ़ी अनुवादक, सभी विभागों में राजभाखा अधिकारी की नियुक्ति, चिकित्सा-तकनीकी संस्थानों में छत्तीसगढ़ी पाठ्यक्रम, मीडिया में शुद्ध छत्तीसगढ़ी का प्रयोग, सरकारी कामकाज व आरटीआई आवेदन छत्तीसगढ़ी भाखा में करने की अपील, जनगणना में मातृभाखा छत्तीसगढ़ी दर्ज करने और राजभाखा आयोग के लिए 5 करोड़ का बजट।

कार्यक्रम में शानू बंजारे की पुस्तक ‘गांव के गोठ’ का विमोचन भी किया गया। इस अवसर पर ऋतेश्वरानंदजी, मालती परगनीहा, रजनी रजक, संजय देशमुख, चंद्रशेखर चंद्राकर सहित अनेक गणमान्य उपस्थित रहे। संचालन केशव साहू ने किया।