अस्पताल के प्रभारी डॉ. पियाम सिंह कारनामा:मुर्दे का फिटनेस सर्टिफिकेट... 1 साल पहले जिसकी मौत हो चुकी, उसे 1 माह के लिए बताया अनफिट, बाद में फिट

बीमार व्यक्ति को मेडिकली अनफिट व स्वस्थ को फिट बताने के लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल सुपेला में खेल चल रहा है। सुपेला थाने में हुई शिकायत के बाद इस पूरे मामले का खुलासा हुआ है। अस्पताल के प्रभारी डॉ. पियाम सिंह ने इसे लेकर शिकायत की। वहीं दूसरे पक्ष ने स्वास्थ्य विभाग से शिकायत की है। इसमें कहा गया है कि डॉक्टर मुर्दों को भी मेडिकली अनफिट व फिट बताने लगे हैं। भिलाई के इस प्रमुख सरकारी अस्पताल में सेवारत डॉक्टरों के इस कारनामे का खुलासा रविवार को हुआ है।
यहां के प्रभारी डॉ. पियम सिंह ने 2018 में मर चुके, कैंप निवासी सुनील दुबे नाम के व्यक्ति को पहले 18 जनवरी 2023 की तारीख में 1 महीने के लिए अनफिट और आगे 19 फरवरी 2023 की डेट में फिट हो जाना बता दिया है। उन्होंने यह कारनामा किसी स्थानीय व्यक्ति के कहने पर किया है। डॉ. पियम ने स्वयं द्वारा मुर्दे का मेडिकल जारी करने की जानकारी मिलने पर अपने बचाव के लिए मेडिकल बनवाने वाले रमेश दास के विरुद्ध थाने में शिकायत भी कर दी है।
हालांकि, सुपेला थाना प्रभारी दुर्गेश शर्मा ने बताया कि डा. पियम सिंह की ओर से उन्हें लिखित शिकायती पत्र भी मिला है। उधर, मुर्दे का मेडिकल बनवाने वाले व्यक्ति ने कहा कि उसने जनहित में यह काम किया है। अब इस पूरे मामले के खुलासे के बाद अलग-अलग स्तर पर जांच शुरू की गई है। इधर इस पूरे मामले में खुलासे के बाद एक बार पुन: स्वास्थ्य विभाग की किरकिरी शुरू हो गई है। लेनदेन का मामला सामने आने पर जांच हो रही है।
सर्टिफिकेट के लिए हर कर्मचारी का रेट फिक्स
कोई 40 रुपए तो कोई 50 रुपए की डिमांड करता है
मुर्दे का मेडिकल बनने की जानकारी के बाद भास्कर ने पड़ताल की। मेडिकल के लिए यहां पदस्थ अधिकतर तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के कर्मियों के रेट फिक्स हैं। एक इसके लिए 40 रु. दिन वार मांगता है तो दूसरा दिन वार ही 50 से 60 रु. की डिमांड करता है। सबकी अपने-अपने डॉक्टरों से सेटिंग है। सभी 3 दिन से 3 महीने तक के लिए किसी को अनफिट व फिट बनावा रहे हैं। इस खुलासे के बाद स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारियों को पूरे मामले की जानकारी दी गई है। अधिकारियों ने बताया कि लंबे समय से फर्जी सर्टिफिकेट का खेल चल रहा है।
ड्राइवर, वार्ड ब्वाॅय, शहरी स्वास्थ्य केंद्र कर्मी संदिग्ध
सुपेला में मेडिकल बनाने के काम में इतना फायदा कि अस्पताल के ड्राइवर, वार्ड ब्वाॅय के साथ ही सीनियर फार्मासिस्ट तक इसमें शामिल है। यही नहीं वार्डों में जन-जन तक स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाने वाली एक मितानिन भी यही काम कर रही है। अंतर यह कि सीनियर फार्मासिस्ट सिर्फ बीएसपी व निगम कर्मियों का मेडिकल बनवाता है। शेष मुंह मांगी कीमत मिलने पर किसी भी प्रकार का मेडिकल बनवाकर उपलब्ध करा देते हैं। इस प्रकार इस पूरे मामले में इनकी भूमिका संदिग्ध है। आगामी दिनों में विभाग द्वारा इन सभी से पूछताछ की जानी है।
मुर्दे का मेडिकल मैंने ही बनाया, बनवाने वाले ने गलत जानकारी दी, शिकायत की
"अस्पताल का ड्राइवर सुनील दुबे नाम के व्यक्ति का अनफिट सार्टिफिकेट देने एक व्यक्ति को मेरे पास लाया। मैंने उसे 1 महीने के लिए अनफिट बना दिया तब जानकारी मिली कि वह व्यक्ति 4 साल पहले ही मर गया था। इस पर मेडिकल बनवाने वाले के विरुद्ध मैंने थाने में शिकायत कर दी है। पुलिस इस मामले में अपने स्तर पर जांच कर रही है।" -डॉ. पियम सिंह, प्रभारी, शास्त्री अस्पताल सुपेला
मरे हुए व्यक्ति का मेडिकल बनाना कदाचार, जांच के बाद कार्रवाई तय होगी
"सही व्यक्ति को बीमार बताना ही कदाचार की श्रेणी में आता है। यह मामला तो मुर्दे व्यक्ति को पहले अनफिट व फिर फिट बताने का है। सुपेला के प्रभारी अधिकारी डॉक्टर पियम सिंह द्वारा ऐसी गलती करने की सूचना मिली है। मैं इसकी जांच करवाउंगा। जांच रिपोर्ट आने पर आगे विभागीय कार्रवाई के लिए संचालनालय को पत्र प्रेषित करुंगा।" -डॉ. वाईके शर्मा, सिविल सर्जन, दुर्ग