छत्तीसगढ़ में शिक्षा को नई उड़ान: 5,000 शिक्षकों की भर्ती, 166 स्कूलों का समायोजन

युक्तियुक्तकरण और नई भर्तियों से सुधरेगी शिक्षा व्यवस्था, शिक्षक विहीन स्कूलों में मिलेगी स्थायी समाधान की राह

छत्तीसगढ़ में शिक्षा को नई उड़ान: 5,000 शिक्षकों की भर्ती, 166 स्कूलों का समायोजन

छत्तीसगढ़ सरकार राज्य की शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़, संतुलित और समावेशी बनाने की दिशा में तेजी से काम कर रही है। शिक्षक विहीन और एकल शिक्षक वाले स्कूलों की समस्या को हल करने के लिए जहां एक ओर युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया अपनाई जा रही है, वहीं दूसरी ओर 5,000 शिक्षकों की भर्ती का निर्णय लिया गया है। यह दोनों पहल विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और बेहतर शैक्षणिक माहौल उपलब्ध कराने में मील का पत्थर साबित होंगी।

रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार राज्य में शिक्षा के स्तर को सुधारने और बच्चों को समान अवसर देने के लिए बड़े स्तर पर बदलाव ला रही है। इस दिशा में दो प्रमुख कदम उठाए गए हैं — एक, शिक्षकों की रिक्त पदों पर चरणबद्ध भर्ती और दूसरा, शालाओं एवं शिक्षकों का तर्कसंगत समायोजन।

पहले चरण में 5,000 शिक्षकों की भर्ती की जाएगी, जिससे स्कूलों में अध्ययन-अध्यापन की गति तेज होगी और छात्रों को विषय विशेषज्ञ शिक्षक उपलब्ध हो सकेंगे। विभाग ने इसकी तैयारियां शुरू कर दी हैं।

इसके साथ ही युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया को भी प्राथमिकता दी जा रही है, जिसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि जहां छात्र हैं, वहाँ पर्याप्त शिक्षक भी हों। जिन स्कूलों में बहुत कम छात्र हैं या शिक्षक नहीं हैं, उन्हें पास के बेहतर स्कूलों के साथ समायोजित किया जा रहा है ताकि संसाधनों और मानवीय शक्ति का प्रभावी उपयोग हो।

संख्या पर एक नजर
राज्य में कुल 10,463 स्कूलों में से केवल 166 स्कूलों का समायोजन प्रस्तावित है। इनमें से 133 ग्रामीण और 33 शहरी स्कूल ऐसे हैं, जहाँ छात्रों की संख्या बहुत कम है और निकटवर्ती विद्यालय पहले से मौजूद हैं। शेष 10,297 स्कूल पहले की तरह संचालित रहेंगे।

राज्य की प्राथमिक शालाओं में प्रति शिक्षक औसतन 21.84 छात्र और पूर्व माध्यमिक शालाओं में 26.2 छात्र हैं, जो राष्ट्रीय औसत से बेहतर है। हालांकि अभी भी 212 प्राथमिक स्कूल शिक्षक विहीन हैं, जबकि 6,872 स्कूलों में केवल एक शिक्षक कार्यरत हैं। पूर्व माध्यमिक स्तर पर 48 स्कूल पूरी तरह से शिक्षकविहीन हैं।

युक्तियुक्तकरण के माध्यम से ऐसे स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति सुनिश्चित की जा रही है जहाँ उनकी सबसे ज्यादा आवश्यकता है। वहीं एक ही परिसर में सभी कक्षाएं संचालित होने से विद्यार्थियों को सुगम, निरंतर और समग्र शिक्षा प्राप्त हो सकेगी।

इस बदलाव से छात्रों को पुस्तकालय, प्रयोगशाला, कंप्यूटर और अन्य शैक्षणिक संसाधनों तक बेहतर पहुंच मिलेगी। ड्रॉपआउट रेट में भी गिरावट की संभावना है क्योंकि बच्चों को अब बार-बार स्कूल बदलने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

सरकार की स्पष्ट मंशा है — हर बच्चे तक पहुंचे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा।
यह केवल एक प्रशासनिक सुधार नहीं, बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में स्थायी और दूरगामी सुधार की दिशा में एक ठोस कदम है। इससे न केवल स्कूल संचालन बेहतर होगा बल्कि भविष्य की पीढ़ी को एक मजबूत नींव भी मिलेगी।