"दृष्टि बाधित हुई, हौसला नहीं—एआई तकनीक से आत्मनिर्भर बने बीएसपी के सौरभ वार्ष्णेय"

ब्रेन स्ट्रोक से दृष्टि खोने के बाद भी नहीं हारी हिम्मत, एआई स्मार्ट ग्लासेस के सहारे तकनीक को बनाया साथी; कार्यस्थल पर 80% कार्यों को कर रहे हैं पूर्ण आत्मनिर्भरता से

"दृष्टि बाधित हुई, हौसला नहीं—एआई तकनीक से आत्मनिर्भर बने बीएसपी के सौरभ वार्ष्णेय"

भिलाई इस्पात संयंत्र के कर्मठ कर्मचारी श्री सौरभ वार्ष्णेय ने यह साबित कर दिखाया कि यदि मन में सीखने की ललक और चुनौतियों को अवसर में बदलने का जज्बा हो, तो कोई भी कमी आगे बढ़ने से नहीं रोक सकती। दृष्टिहीनता जैसी गंभीर चुनौती को एआई तकनीक के सहारे उन्होंने न केवल पार किया, बल्कि कार्यस्थल पर प्रभावी योगदान देकर कर्मयोग की मिसाल भी पेश की है।

दृष्टि बाधित हुई, हौसला नहीं—एआई तकनीक से आत्मनिर्भर बने बीएसपी के सौरभ वार्ष्णेय

ब्रेन स्ट्रोक के बाद दृष्टि गंवाने वाले सौरभ ने एआई तकनीक को बनाया अपनी आंखें, अब बिना देखे कर रहे हैं डिजिटल कार्य

भिलाई। भिलाई इस्पात संयंत्र के सिन्टर प्लांट-3 में बतौर इलेक्ट्रिकल इंजीनियर वर्ष 2001 में अपना करियर शुरू करने वाले श्री सौरभ वार्ष्णेय की कहानी प्रेरणा और साहस की मिसाल है। मार्च 2024 तक एक जिम्मेदार पद पर कार्य कर रहे सौरभ को अप्रत्याशित रूप से ब्रेन स्ट्रोक हुआ, जिससे उनकी ऑप्टिक नर्व क्षतिग्रस्त हो गई और कुछ ही समय में उनकी दृष्टि पूरी तरह चली गई।

जहां अधिकांश लोग ऐसी परिस्थिति में हार मान लेते हैं, वहीं सौरभ ने इसे नई शुरुआत माना। संयंत्र प्रबंधन ने उन्हें बीएमडीसी विभाग में स्थानांतरित किया, और यहीं से उन्होंने आत्मनिर्भरता की नई राह पर पहला कदम रखा।

तकनीक बनी संबल, स्मार्ट ग्लास बने नई आंखें

टेक्नोलॉजी में गहरी रुचि रखने वाले सौरभ ने स्क्रीन रीडर एप्स से शुरुआत की। बिना देखे मोबाइल और लैपटॉप का उपयोग करना सीखा। इसके बाद अक्टूबर 2024 में अमेरिका से 'मेटा एआई स्मार्ट ग्लासेस' मंगवाए, जिनकी मदद से वे अब ईमेल पढ़ने, संदेश भेजने, दस्तावेज़ समझने और वीडियो कॉल अटेंड करने जैसे कार्य स्वतः कर पाते हैं।

सिखना जीवन की प्रक्रिया है

सौरभ कहते हैं, "हर दिन कुछ नया सीखता हूं।" एआई की मदद से वे 80% कार्य बिना किसी मदद के कर लेते हैं। स्क्रीन रीडर और स्मार्ट ग्लासेस उन्हें लंबे दस्तावेज़ों का सारांश सुनाते हैं, जिससे वे तेज़ी से कार्य निष्पादन कर पाते हैं।

सम्मान और प्रेरणा

सौरभ को 2023 में भी तकनीकी नवाचार के लिए सम्मानित किया गया था। लेकिन उनके लिए सबसे बड़ी उपलब्धि है—स्वाभिमान के साथ काम करना। वे कहते हैं, “अगर संगठन का हिस्सा हूं, तो योगदान देना मेरी जिम्मेदारी है।” इस पूरे सफर में उनकी पत्नी ने उन्हें हर मोड़ पर संबल और प्रेरणा दी।

बीएसपी को है गर्व

भिलाई इस्पात संयंत्र को सौरभ जैसे कर्मठ, नवाचारप्रिय और जुझारू कर्मचारी पर गर्व है। उन्होंने यह सिद्ध किया है कि जब नजरें साथ छोड़ दें, तब भी दृष्टिकोण और हौसला ही सबसे बड़ी रोशनी बनता है।