पीले रंग का ही क्यों होता है रेलवे स्टेशन पर लगा बोर्ड, काले रंग से क्यों लिखे जाते हैं नाम, हैरान करने वाली है वजह
रेलवे स्टेशन पर लगे नाम के बोर्ड हमेशा पीले रंग के होते हैं और उन पर काले रंग से लिखा गया होता है. ऐसा करने के पीछे एक बड़ी दिलचस्प वजह है जिसके तार विज्ञान से जुड़ते हैं.

नई दिल्ली. ट्रेन से यात्रा करते वक्त क्या आपने कभी इस बात पर ध्यान दिया है कि रेलवे स्टेशन या यार्ड में पीले रंग के बोर्ड या दीवार पर ही काले रंग से लिखा गया होता है. रेलवे क्यों किसी और रंग का इस्तेमाल रेलवे स्टेशन का नाम लिखने के लिए नहीं करता है. क्या इसके पीछे कोई खास वजह है या बस ये एक परंपरा है जो सालों से चली आ रही है. इसका जवाब है कि हां, इसके पीछे एक वैज्ञानिक कारण है. आप आप सोच रहे होंगे कि इसमें कैसे विज्ञान. हम आपको बताते हैं.
दरअसल, पीले रंग की वेवलेंथ 7 प्रमुख रंगों में तीसरे नंबर पर है. जिस रंग की वेवलेंथ जितनी लंबी होती है उसे उतनी ही दूर से देखा जा सकता है. सबसे लंबी वेवलैंथ लाल रंग की होती है और ये बिखरता भी सबसे कम है. यही वजह है कि ट्रैफिक सिग्नल पर रुकने का इशारा लाल रंग से होता है. हालांकि, एक ये कारण भी है कि लाल रंग से बोर्ड्स को पेंट नहीं किया जाता है.
कम रोशनी में दिखता है पीला रंग
आप सोच रहे होंगे कि लाल रंग अगर सबसे दूर से दिख जाता है तो उसे ही क्यों नहीं बोर्ड के कलर के रूप में इस्तेमाल करते. दरअसल, पीले रंग का लेटरल पैरिफेरल विजन लाल रंग से 1.24 गुना अधिक होता है. इसका मतलब है कि अगर ये रंग आपकी आंखों की सीध में नहीं होकर साइड में कही हैं तो भी आप इसे लाल से जल्दी पहचान लेंगे. साथ ही पीला रंग अंधेरे या धुंध में भी लाल रंग से पहले दिखता है क्योंकि ये वातावरण में लाल रंग से ज्यादा फैलता है.
लिखने के लिए काले रंग का इस्तेमाल क्यों
ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि कलर कॉन्ट्रास्ट की वजह से काला रंग पीले पर ज्यादा उभर कर आता है और दूर से बहुत साफ-साफ दिख जाता है. इससे बोर्ड पर लिखे शब्दों का पढ़ने में मुश्किल नहीं होती है. ट्रेन चलाते वक्त लोको पायलेट को दूर से ही बोर्ड और उस पर लिखे शब्द दिखने लगते हैं और वह उसी के हिसाब से ट्रेन की गति बढ़ाने, घटाने या ब्रेक लगाने का काम करता है.