करना चाहते हैं पवनपुत्र हनुमान को प्रसन्न, तो इस दिन से करें सुंदरकांड का पाठ

करना चाहते हैं पवनपुत्र हनुमान को प्रसन्न, तो इस दिन से करें सुंदरकांड का पाठ

करना चाहते हैं पवनपुत्र हनुमान को प्रसन्न, तो इस दिन से करें सुंदरकांड का पाठ

 मान्यता है की पवन पुत्र हनुमान बहुत जल्द प्रसन्न भी होते हैं. बजरंगबली को प्रसन्न करने के लिए ज्यादा कुछ करने की जरूरत नहीं होती है. हिंदू धर्म में सुंदरकांड और रामचरितमानस का विशेष महत्व बताया गया है. सुंदरकांड पाठ में पवन पुत्र बजरंगबली के बारे में विस्तार से बताया गया है. तुलसीदास द्वारा रचित सुंदरकांड सबसे महत्वपूर्ण और लोकप्रिय माना जाता है. धार्मिक मान्यता के मुताबिक जो व्यक्ति नियमित रूप से बजरंगबली का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहता है उसे सुंदरकांड का प्रतिदिन पाठ करना चाहिए. सुंदरकांड पाठ करने से जल्द बजरंगबली प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की समस्त मनोकामना पूरी करते है.

कलयुग में पवन पुत्र हनुमान ही एक ऐसे देवता है. जिन्हें भक्त बहुत आसानी से प्रसन्न कर लेते हैं. इतना ही नहीं पवन पुत्र बजरंगबली बल बुद्धि और कृपा प्रदान करने वाले माने जाते हैं, धार्मिक मान्यता है कि सुंदरकांड का पाठ करने से व्यक्ति के अंदर कई सकारात्मक बदलाव देखने को मिलते हैं. इतना ही नहीं जो भी मनुष्य प्रतिदिन सुंदरकांड का पाठ करता है उसकी एकाग्रता और आत्मविश्वास में वृद्धि तो होती है. उसके अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी होता है. इसलिए घरों में सुंदरकांड का पाठ करना चाहिए. नियमित सुंदरकांड का पाठ करने से नकारात्मक शक्तियां दूर हो जाती हैं.

जानिए किस दिन से पाठ शुरू करना होगा लाभदायक
ज्योतिषाचार्य पंडित कल्कि राम के अनुसार पवन पुत्र बजरंगबली को प्रसन्न करने के लिए तुलसीदास द्वारा रचित सुंदरकांड का पाठ करना चाहिए. ऐसा करने से जीवन में आई समस्त विघ्न बाधा समाप्त होती हैं. नियमित रूप से सुंदरकांड का पाठ करने से घर से नकारात्मक शक्तियां बाहर जाती है और सकारात्मक शक्तियां अंदर आती है. अगर आप विशेष फल की प्राप्ति के लिए सुंदरकांड का पाठ करना चाहते है तो इसकी शुरुआत मंगलवार या शनिवार के दिन करें क्योंकि शनिवार और मंगलवार का दिन पवन पुत्र बजरंगबली के लिए विशेष महत्व होता है. इतना ही नहीं सुंदरकांड का पाठ करने से पहले स्वच्छता पर विशेष ध्यान देना चाहिए. पूजा स्थल पर हनुमान जी की मूर्ति रखनी चाहिए. विधि-विधान पूर्वक पूजा आराधना करनी चाहिए. फल-फूल मिठाई और सिंदूर रखना चाहिए. सुंदरकांड का पाठ शुरू करने से पहले गणेश जी की वंदना करनी चाहिए.