शिवकथा से कैलाशधाम बना भिलाई: पं. प्रदीप मिश्रा का दिव्य प्रवचन प्रारंभ
भिलाई के जयंती स्टेडियम में प्रारंभ हुई सात दिवसीय शिवमहापुराण कथा; पं. प्रदीप मिश्रा ने कहा — जहां शिवकथा होती है, वहीं विराजते हैं भोलेनाथ परिवार सहित
श्रावण के पवित्र माह में जब भक्तों का शिवभक्ति में सराबोर होना स्वाभाविक होता है, उसी क्रम में भिलाई के जयंती स्टेडियम में बुधवार से अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त कथावाचक पं. प्रदीप मिश्रा के सान्निध्य में भव्य शिवमहापुराण कथा का शुभारंभ हुआ। इस अवसर पर श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा और पंडाल भक्तिरस में सराबोर हो गया।
भिलाई | श्रावण मास की पुण्य बेला में भिलाई एक बार फिर शिवमय हो गया है। जयंती स्टेडियम सिविक सेंटर मैदान में बुधवार को शिवमहापुराण कथा का शुभारंभ हुआ, जिसमें पंडित प्रदीप मिश्रा की दिव्य वाणी ने श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक अनुभूति से भर दिया। कथा के पहले ही दिन पंडाल श्रद्धालुओं से खचाखच भर गया।
पं. मिश्रा ने कहा कि यह शिवकथा केवल वाणी नहीं, बल्कि शिवस्वरूप है। उन्होंने कहा – “जहां शिवकथा होती है, वह स्थान 7 दिन के लिए कैलाशधाम बन जाता है। शिवजी परिवार सहित वहां विराजते हैं।” उन्होंने इस आयोजन के लिए बोल बम सेवा समिति अध्यक्ष व भिलाई नगर निगम के उप नेता प्रतिपक्ष दया सिंह की भूरी-भूरी प्रशंसा की और कहा कि भिलाईवासियों का पुण्य प्रबल है जो श्रावण में ऑफलाइन कथा का लाभ मिल रहा है।
कथा में पूर्व गृहमंत्री रामसेवक पैकरा, पूर्व मंत्री पूनम चंद्राकर, पूर्व मंत्री रमशीला साहू, विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह की पत्नी वीणा सिंह सहित अनेक गणमान्य अतिथि मौजूद रहे। कथा के दौरान पं. मिश्रा ने स्कंद षष्ठी का महत्व बताते हुए कहा कि यह तिथि शिव पुत्र कार्तिकेय को वरदानों की प्राप्ति की स्मृति दिलाती है। उन्होंने कथा के माध्यम से भक्तों को बताया कि परिवार में प्रेम, शांति और सुख बनाए रखने के लिए शिवजी के स्कंद स्वरूप को जल, बेलपत्र, दुर्वा और सफेद पुष्प अर्पित करें।
पं. मिश्रा ने जीवन और घर के व्यवहारिक पक्षों पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा – “महल हो या झोपड़ी, शांति और विश्वास ही घर को सुखी बनाते हैं। शिवमहापुराण कथा केवल श्रवण नहीं, जीवन की दिशा है।” उन्होंने कहा कि “जब रोज़ की चाय के लिए जीभ जलने के बावजूद हम नहीं रुकते, तो जीवन की कठिनाइयों में एक असफलता से डरकर लक्ष्य नहीं छोड़ना चाहिए। भगवान शिव पर विश्वास रखें, सफलता अवश्य मिलेगी।” कथा के दौरान कई भक्तों ने पत्रों के माध्यम से अपनी कथाएं साझा कीं, जिनमें संतान प्राप्ति, नौकरी, संपत्ति और जीवन की समस्याओं से मुक्ति की घटनाएं शामिल थीं। श्रद्धालुओं के अनुसार, कथा के श्रवण, व्रत व पूजा से उनके जीवन में चमत्कारिक परिवर्तन आए।