कर्ज में डूबे युवक ने गबन की रकम छिपाकर बनाई लूट की झूठी कहानी, पुलिस की साइबर टीम ने घंटों में किया भंडाफोड़
जांजगीर-चांपा जिले के बम्हनीडीह थाना क्षेत्र में हुई दिनदहाड़े 11 लाख से अधिक की लूट की सूचना पर पुलिस ने जब जांच की तो चौकाने वाला सच सामने आया। सूचना देने वाला ही इस पूरे गबन का मास्टरमाइंड निकला। आरोपी ने अपने ऊपर लगे कर्ज से उबरने के लिए एक मनगढ़ंत लूटकांड रचा, लेकिन पुलिस की सटीक जांच और साइबर सेल की सूझबूझ से झूठी कहानी की परतें जल्दी ही खुल गईं।
बम्हनीडीह थाना क्षेत्र में बीते 01 अगस्त को दर्ज हुई ₹11,79,800 रुपये और एक लैपटॉप की कथित लूट की घटना महज एक फर्जी कहानी निकली। पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए महज कुछ घंटों में सूचना देने वाले युवक दीपेश देवांगन को गिरफ्तार कर लिया, जो इस झूठे लूटकांड का मास्टरमाइंड था।
जांजगीर-चांपा। दीपेश देवांगन (उम्र 25 वर्ष), निवासी चोरिया, थाना सारागांव ने थाना बम्हनीडीह पहुंचकर रिपोर्ट दी थी कि वह ग्राम करनौद निवासी किरीत सिन्हा से पैसे लेकर यूनियन बैंक चांपा में जमा करने जा रहा था। इस दौरान पूछेली गांव के पास बाइक सवार तीन अज्ञात युवकों ने उसे रोककर मारपीट करते हुए नकदी और लैपटॉप लूट लिए।
पुलिस ने सूचना मिलते ही वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत कराते हुए जिलेभर में नाकेबंदी की, साइबर सेल को अलर्ट किया और घटनास्थल का सूक्ष्म निरीक्षण किया। लेकिन मौके पर लूट के कोई भौतिक साक्ष्य नहीं मिले। आरोपी के बयानों में बार-बार विरोधाभास, घटना की जानकारी में विलंब और असंगत जवाबों के कारण पुलिस को संदेह हुआ।
साइबर सेल प्रभारी निरीक्षक सागर पाठक और टीम द्वारा की गई मनोवैज्ञानिक पूछताछ में अंततः दीपेश टूट गया और उसने स्वीकार किया कि वह लगभग 8 लाख रुपये के कर्ज में डूबा था, जिसके चलते उसने पूरे ₹11,79,800/- रुपये और लैपटॉप को छिपा लिया और पुलिस को गुमराह करने के लिए लूट की झूठी रिपोर्ट दर्ज करवाई।
प्रकरण में थाना बम्हनीडीह में अपराध क्रमांक 70/2025 धारा 217, 316(2) BNS के तहत मामला पंजीबद्ध कर आरोपी को गिरफ्तार किया गया। जांच के दौरान दीपेश के घर से पूरी नकदी राशि और लैपटॉप बरामद कर लिए गए हैं।
आरोपी ने बताया कि वह वर्ष 2018 से अकाउंटिंग, व्यापारिक लेनदेन, हवाला और विभिन्न व्यवसायों से जुड़ा रहा है। वर्तमान में उस पर भारी कर्ज था जिसे चुकाने के लिए उसने यह साजिश रची।
जिला पुलिस जांजगीर-चांपा आम नागरिकों से अपील करती है कि झूठी सूचनाएं न दें, क्योंकि इससे न केवल पुलिस व्यवस्था बाधित होती है बल्कि झूठे मामलों में कड़ी वैधानिक कार्रवाई भी की जाती है।