छत्तीसगढ़ में ह्यूमन ट्रैफिकिंग केस में फंसीं केरल की दो ननों को NIA कोर्ट से जमानत
दुर्ग से दिल्ली और केरल तक गरमाया मामला, संसद से लेकर सड़क तक विरोध, पीड़िता का आरोप- मारपीट कर जबरन बयान दिलवाया गया
छत्तीसगढ़ के दुर्ग रेलवे स्टेशन से शुरू हुआ विवाद अब राष्ट्रीय बहस का विषय बन चुका है। केरल की दो कैथोलिक ननों की गिरफ्तारी के बाद देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हुए और मामला संसद तक पहुंचा। नौ दिन जेल में रहने के बाद दोनों ननों को बिलासपुर स्थित NIA कोर्ट से 50-50 हजार रुपए के मुचलके पर जमानत मिल गई है। इस बीच, एक पीड़िता के नए खुलासे ने पूरे मामले को नया मोड़ दे दिया है।
रायपुर। छत्तीसगढ़ के दुर्ग में रेलवे स्टेशन पर 24 जुलाई को बजरंग दल कार्यकर्ताओं द्वारा पकड़ी गईं दो कैथोलिक ननों — प्रीति मैरी और वंदना फ्रांसिस — को बिलासपुर स्थित एनआईए कोर्ट से राहत मिली है। मानव तस्करी के आरोपों में 9 दिनों से जेल में बंद इन दोनों महिलाओं को कोर्ट ने 50-50 हजार रुपए के मुचलके पर जमानत दे दी।
घटना के बाद से मामला गरमा गया। लोकसभा और राज्यसभा में विपक्षी सांसदों ने इसे जबरन फंसाया गया केस बताया, वहीं केरल से सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल दुर्ग पहुंचकर जेल में ननों से मिला और न्याय की मांग की। मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा ने भी ननों पर लगे केस को फर्जी बताते हुए रद्द करने की मांग की।
इस पूरे मामले में बड़ा मोड़ तब आया, जब तीन पीड़ित आदिवासी युवतियों में से एक युवती ने मीडिया के सामने आकर कहा कि ननों ने उनके साथ कोई गलत व्यवहार नहीं किया। उसने आरोप लगाया कि दुर्ग में उससे मारपीट की गई और दबाव डालकर बयान बदलवाया गया।
गौरतलब है कि दुर्ग GRP थाना क्षेत्र में बजरंग दल की शिकायत पर पुलिस ने FIR दर्ज कर मानव तस्करी और धर्मांतरण के आरोप में ननों को गिरफ्तार किया था। दुर्ग कोर्ट से बेल याचिका खारिज होने के बाद मामला एनआईए कोर्ट, बिलासपुर पहुंचा था, जहां अब उन्हें जमानत मिल गई है।
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