भूपेश बघेल ने सफाई कर्मचारियों की हड़ताल को दिया समर्थन, स्कूल बंदी पर सरकार को घेरा

स्कूलों की बंदी से 10,000 से अधिक सफाई कर्मियों पर बेरोजगारी का संकट

भूपेश बघेल ने सफाई कर्मचारियों की हड़ताल को दिया समर्थन, स्कूल बंदी पर सरकार को घेरा

दुर्ग संभाग में स्कूली सफाई कर्मचारियों की हड़ताल को पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने खुला समर्थन दिया है। उन्होंने हड़ताली कर्मचारियों के मंच पर पहुंचकर कहा कि मौजूदा सरकार वादाखिलाफी और बेरोजगारी बढ़ाने में लगी है। कर्मचारियों ने चेतावनी दी है कि यदि 30 जून तक मांगें नहीं मानी गईं, तो वे रायपुर स्थित मुख्यमंत्री निवास का घेराव करेंगे और 6 जुलाई को प्रदेश स्तरीय निर्णायक आंदोलन की रणनीति बनाई जाएगी।

दुर्ग: छत्तीसगढ़ के स्कूल सफाई कर्मचारी संघ की हड़ताल को लेकर माहौल गरमा गया है। दुर्ग संभाग के मानस भवन में आयोजित धरना प्रदर्शन में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पहुंचकर सफाई कर्मचारियों की मांगों का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने अपने घोषणा पत्र में जो वादे किए थे, उन्हें पूरा नहीं किया जा रहा, और अब हजारों कर्मचारियों को बेरोजगार करने की तैयारी की जा रही है।

भूपेश बघेल ने कहा कि 10463 स्कूलों के बंद होने से इतने ही कर्मचारी जो पिछले 15 वर्षों से न्यूनतम मानदेय पर कार्य कर रहे हैं, सड़क पर आ जाएंगे। यह न केवल सामाजिक अन्याय है, बल्कि इन कर्मचारियों और उनके परिवारों के लिए जीवन संकट का कारण भी बनेगा।

संघ की ओर से बताया गया कि पहले भी रमन सरकार के कार्यकाल में 3200 स्कूलों के युक्तिकरण के चलते इतने ही कर्मचारी बेरोजगार हो गए थे। अब फिर वही स्थिति दोहराई जा रही है। वर्तमान में कर्मचारियों को मात्र ₹3000–3400 प्रतिमाह मानदेय दिया जा रहा है, जबकि अधिकांश स्कूलों में उन्हें सफाई के अलावा भृत्य व चपरासी का काम भी करना पड़ता है।

कर्मचारियों ने बताया कि भाजपा ने 2023 में 50% मानदेय वृद्धि और अन्य मांगों को स्वीकार करने का वादा किया था, लेकिन सरकार बनने के डेढ़ साल बाद भी कोई ठोस पहल नहीं हुई।

संघ ने स्पष्ट किया कि यदि 30 जून तक मांगों को लेकर कोई निर्णय नहीं लिया गया, तो वे रायपुर सीएम निवास का घेराव करेंगे। इसके बाद 6 जुलाई को रायपुर में आयोजित प्रांतीय बैठक में विधानसभा, मंत्रालय और भाजपा कार्यालय के घेराव की रणनीति तय की जाएगी।

पूर्व मुख्यमंत्री बघेल ने कहा:
"अगर ये अच्छे दिन हैं, तो ऐसे अच्छे दिन हमें नहीं चाहिए। हमारी सरकार ने कोरोना काल में मानदेय बढ़ाया, दो वर्षों का लंबित भुगतान किया और दिवंगत कर्मचारियों के परिजनों को नौकरी दी, लेकिन मौजूदा सरकार वादों से मुकर रही है।"

धरना में शामिल प्रमुख नेता:
संघ के संरक्षक सुशील सन्नी अग्रवाल, कांग्रेस जिलाध्यक्ष राकेश ठाकुर, पूर्व महापौर धीरज बागलीवाल, वरिष्ठ नेता आर्यन वर्मा और कांग्रेस के अन्य कार्यकर्ता भी हड़ताल में मौजूद रहे।