संविधान हत्या दिवस पर लोकतंत्र प्रहरियों का सम्मान, आपातकाल की पीड़ा नई पीढ़ी तक पहुंचाने का संकल्प

जश्न नहीं, जागरूकता का आयोजन; सांसद विजय बघेल बोले– ‘1975 की तानाशाही को याद रखना जरूरी’

संविधान हत्या दिवस पर लोकतंत्र प्रहरियों का सम्मान, आपातकाल की पीड़ा नई पीढ़ी तक पहुंचाने का संकल्प

दुर्ग. भारत में आपातकाल लागू हुए आज 50 वर्ष पूरे हो गए। वर्ष 1975 में 25 जून को तत्कालीन सरकार द्वारा लगाए गए आपातकाल को लोकतंत्र के काले अध्याय के रूप में याद किया जाता है। इसी दिन को संविधान हत्या दिवस के रूप में चिह्नित करते हुए दुर्ग में विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया गया, जिसमें लोकतंत्र प्रहरियों और उनके परिजनों का सम्मान किया गया, तिरंगा यात्रा, छायाचित्र प्रदर्शनी और परिचर्चा आयोजित हुई। इस दौरान वक्ताओं ने लोकतंत्र, संविधान और नागरिक स्वतंत्रता के महत्व को रेखांकित किया।

  “नई पीढ़ी को बताना ज़रूरी है कि संविधान को कैसे कुचला गया था” – सांसद विजय बघेल
लोक निर्माण विभाग के सभागार में आयोजित संगोष्ठी में सांसद विजय बघेल ने कहा, "आपातकाल भारतीय लोकतंत्र पर सबसे बड़ा आघात था। न्यायपालिका, मीडिया और नागरिक अधिकारों को कुचल दिया गया था।" उन्होंने कहा कि यह आयोजन आज की नई पीढ़ी को उस पीड़ा और तानाशाही की याद दिलाने के लिए है। सांसद बघेल ने बताया कि "भारत आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में मजबूती से आगे बढ़ रहा है और दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है।" उन्होंने जिला प्रशासन को आयोजन के लिए बधाई दी।

  विधायकों ने साझा किए पारिवारिक अनुभव
विधायक गजेन्द्र यादव ने बताया कि आपातकाल के दौरान उनके पिता 15 दिन और बड़े भाई 18 माह जेल में बंद रहे थे।
विधायक ललित चंद्राकर ने कहा कि वर्ष 1977 के चुनाव में जनता ने आपातकाल के विरोध में ऐतिहासिक जनादेश देकर लोकतंत्र की ताकत दिखाई।

  सम्मानित हुए लोकतंत्र प्रहरी और परिजन
इस अवसर पर लोकतंत्र प्रहरी लक्ष्मीनारायण राठी, रामचंद चिंतामणि पाटणकर, तथा परिजन विशाल राजहंस, डॉ. शरद पाटणकर, राम पाटणकर, मनोज जैन, छत्रपाल चंद्राकर का सम्मान किया गया।
स्मृतियों को साझा करते हुए मनोज जैन और डॉ. शरद पाटणकर ने बताया कि उनके परिजनों को किस तरह जेल, यातना और दमन का सामना करना पड़ा था।

 “संविधान ही हमारी असली शक्ति” – कलेक्टर अभिजीत सिंह
कलेक्टर श्री अभिजीत सिंह ने कहा कि संविधान ने भारत को एकजुट राष्ट्र बनाया है और उसी की बदौलत हम आज लोकतंत्र के इस स्वरूप को देख पा रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि इसी संविधान में निहित शक्तियों के आधार पर ही 1975 में आपातकाल लागू किया गया था।

 लघु फिल्म और प्रदर्शनी बनी आकर्षण का केंद्र
कार्यक्रम के दौरान आपातकाल आधारित लघु फिल्म का प्रदर्शन किया गया। इसके साथ ही छायाचित्र प्रदर्शनी में 1975-77 के दौर की घटनाओं और दस्तावेजों को प्रस्तुत किया गया।

 कार्यक्रम में प्रमुख रूप से उपस्थित रहे: वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक विजय अग्रवाल, जिला पंचायत सीईओ बजरंग दुबे, संयुक्त कलेक्टर शिल्ली थामस व हरवंश सिंह मिरी, डिप्टी कलेक्टर उत्तम ध्रुव, एनसीसी-एनएसएस, स्काउट-गाइड के छात्र, मीडिया प्रतिनिधि और कई गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।