आज है शनि प्रदोष, उत्तम संतान के लिए शुभ मुहूर्त में करें शिव आराधना, जान लें मंत्र, व्रत और पूजा विधि

आज 04 मार्च शनिवार को शनि प्रदोष व्रत है. यह फाल्गुन माह का दूसरा और मार्च का पहला प्रदोष व्रत है. शनि प्रदोष व्रत करने से उत्तम संतान की प्राप्ति होती है. जानते हैं शनि प्रदोष के शुभ मुहूर्त, व्रत और पूजा विधि के बारे में.

आज है शनि प्रदोष, उत्तम संतान के लिए शुभ मुहूर्त में करें शिव आराधना, जान लें मंत्र, व्रत और पूजा विधि

आज 04 मार्च शनिवार को शनि प्रदोष व्रत है. यह फाल्गुन माह का दूसरा और मार्च का पहला प्रदोष व्रत है. शनि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा शाम के समय में विधि विधान से करते हैं. शिव पूजा और शनि प्रदोष व्रत करने से उत्तम संतान की प्राप्ति होती है. आज शनि प्रदोष व्रत की पूजा के समय रवि योग और शोभन योग बना है. आज रुद्राभिषेक कराने के लिए शिववास भी है. हर माह की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है. इस व्रत को करने से सुख, संपत्ति, आरोग्य, पुत्र आदि की प्राप्ति होती है. श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ. मृत्युञ्जय तिवारी से जानते हैं शनि प्रदोष के शुभ मुहूर्त, व्रत और पूजा विधि के बारे में.

शनि प्रदोष व्रत 2023 मुहूर्त
फाल्गुन शुक्ल त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ: 4 मार्च, शनिवार, सुबह 11 बजकर 43 मिनट से
फाल्गुन शुक्ल त्रयोदशी तिथि का समापन: 5 मार्च, रविवार, दोपहर 02 बजकर 07 मिनट पर
प्रदोष ​शिव पूजा मुहूर्त: आज, शाम 06 बजकर 23 मिनट से रात 08 बजकर 50 मिनट तक
रवि योग: आज, शाम 06 बजकर 41 मिनट से कल सुबह 06 बजकर 37 मिनट तक
शोभन योग: आज, प्रात:काल से लेकर शाम 07 बजकर 37 मिनट तक
शिववास: कैलाश पर प्रात:काल से सुबह 11 बजकर 43 मिनट तक, उसके बाद नंदी पर वास

शनि प्रदोष पूजा विधि
1. आज प्रात: स्नान करके साफ वस्त्र पहन लें और हाथ में जल लेकर शनि प्रदोष व्रत एवं शिव पूजा का संकल्प करें. दिनभर फलाहार करें. शाम के समय में पूजा करें.

2. प्रदोष पूजा मुहूर्त में किसी शिव मंदिर या घर पर ही शिवलिंग का जल से अभिषेक करें. उसके बाद शिव जी को बेलपत्र, चंदन, फूल, शमी के पत्ते, अक्षत्, माला, बेर, मिष्ठान, शहद आदि चढ़ाएं. इस दौरान ओम नम: शिवाय या श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र का उच्चारण करते रहें.

3. माता पार्वती, गणेश जी, भगवान कार्तिकेय और नंदी का पूजन करें. इसके बाद शनि प्रदोष व्रत कथा को सुनें. फिर घी के दीप या कपूर से शिव जी की आरती करें. पूजा के बाद गलतियों और कमियों के लिए क्षमा मांग लें.

4. अब आप शिव जी से मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना करें. पूजा के बाद दान दें. रात्रि जागरण करें. फिर अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण करके शनि प्रदोष व्रत को पूरा करें.