'तीर्थ स्थलों को पर्यटन स्थल बनने से रोकें':शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती बोले- जोशीमठ जैसी आपदा रोकने के लिए ऐसा करना होगा

देवभूमि की दरकती जमीन पर आस्था का केंद्र जोशीमठ हिल चुका है। घरों की दीवारों पर दरारें हैं। जमीनें फट चुकी हैं। लोगों को उनके घरों से निकाला जा रहा है। ऐसे में ज्योतिष पीठ के प्रमुख शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने दैनिक भास्कर से खुलकर अपने विचार रखे। इस आपदा का क्या प्रभाव पड़ेगा? धार्मिक दृष्टिकोण क्या है? कैसे बच सकेंगे, जानिए, उन्हीं के शब्दों में:-
आज देवभूमि में जो हालात बने हैं, शायद न होते, अगर हमने तीर्थ को तीर्थ समझा होता। जैन समाज देश में अल्पसंख्यक हैं, लेकिन जिस ताकत से वह अपने तीर्थ सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल बनने से रोकने के लिए संघर्ष कर रहा है, उसका सम्मान किया जाना चाहिए।
हिन्दू समाज के सभी लोगों को समझना चाहिए कि तीर्थ अलग है, पर्यटन अलग है। जोशीमठ समेत पूरी देवभूमि को पर्यटन स्थल बनाने का एक दुष्परिणाम भी आज के हालात हैं। लोग न घरों में रह पा रहे और न ही जमीन पर। घरों में दरारें बढ़ती जा रही है, जमीन लगातार फट रही है। प्रकृति और कैसे प्रतिक्रिया दे?
लोगों में नाराजगी..
जोशीमठ से रोज सूचनाएं मिल रही हैं। लोग बेहद गुस्से में हैं और सरकारें, एजेंसी कारण पता करने में जुटी हैं। सरकार जागी, मगर देर से। ऐसा नहीं है कि जोशीमठ के घरों-दीवारों में दरारें आज अचानक ही आई। ये सिलसिला तकरीबन एक-डेढ़ साल से चल रहा है। लोगों ने प्रशासन को, सरकार को शिकायतें दीं, मगर कुछ नहीं हुआ। दो जनवरी को अचानक बड़े धमाके की आवाज आई और जमीन-मकान दरकने लगे।
जोशीमठ के इलाकों में लगातार धमाके
दरअसल, जोशीमठ के इलाकों में लगातार धमाके किए जा रहे हैं। 2005 के बाद जब यहां हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट लाया गया, तब यहां से 17 किलोमीटर लंबी सुरंग बनाई जानी थी। इसके लिए टनल बोरिंग मशीन (टीबीएम) मंगाई गई।
टनल से ज्यादा नुकसान जोशीमठ को हुआ
ये मशीन आमतौर पर कड़ी चीजों को काटती थी, लेकिन जोशीमठ की जमीनें भुरभुरी और नमी वाली थीं। जब इस मशीन ने टनल खोदना शुरू किया, तो बहुत ज्यादा वायब्रेशन हुआ और आगे जाकर यह कीचड़ में धंस गई। इसे पीछे ला नहीं सकते थे, लिहाजा टनल खोदते हुए आगे बढ़ते रहे। टनल से ज्यादा नुकसान जोशीमठ को हुआ, क्योंकि इस काम ने यहां की जमीन को खोखली कर दी। दूसरी तरफ ऑल वेदर रोड ने भी जोशीमठ में कहर बरपा दिया।
जब केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्रालय ने यहां ऑल वेदर रोड का काम शुरू किया था, तो हमने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाकर इसे बंद करवाया था। बाद में परिवहन मंत्रालय ने रक्षा मंत्रालय के साथ सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई कि देश की सुरक्षा के लिए इस रोड का बनना जरूरी है।
जोशीमठ के अस्तित्व को ही खतरा
देशहित में इसे फिर से बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने मंजूरी दे दी। अब बार्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (बीआरओ) इस पर लगातार काम कर रहा है। यहां ब्लास्ट होते हैं, जिससे ये भुरभुरी जमीन खिसकती है और दरकती है। चूंकि पर्यटन ज्यादा होता है, लोग ज्यादा आते हैं, तो उस अनुरूप सुविधाएं देने के लिए भी लगातार निर्माण कार्य चलते रहते हैं, लेकिन इसका दुष्परिणाम इसी रूप में सामने आना था। सरकारें पहले इस पर ध्यान दिया होता तो ये स्थिति नहीं बनती। उनके पास तो पर्याप्त रिसर्च था, रिपोर्ट थी, फिर भी किसी सरकार ने ऐसे अपरिपक्व विकास को रोकने की कोशिश नहीं की।
हालात बेहद नाजुक
आज हालात बेहद नाजुक हैं। छोटे-छोटे परिवार जिन्होंने एक-एक ईंट और पत्थर जोड़कर अपने मकान बनाए थे, उनके मकानों को खाली कराया जा रहा है। पहले जब हम उनके घरों में जाते थे, तो मुस्कुराते हुए भक्तिभाव से स्वागत करते थे, लेकिन जब इस बार गए, तो उनकी आंखें आंसुओं में भीगी हुई थी।आज उन्हें कहा जा रहा है कि सरकार छह महीने तक हर महीने चार-चार हजार रुपए देगी। क्या होगा इतने रुपयों में? फिर छह महीने बाद ये क्या करेंगे? मुआवजे को लेकर कोई स्पष्ट नीति नहीं? कहां जाएंगे इतने लोग? हमारे मठ के कार्यकर्ता हर संभव मदद कर रहे हैं।
संसाधनों का बहुत अभाव है...
मुख्यमंत्री भी दो दिन रुककर गए, तो प्रयास तेज हुए हैं, लेकिन संसाधनों का बहुत अभाव है। ठंड बहुत ज्यादा है और लोग मदद की आस में हैं। भोजन का सही इंतजाम होना बाकी है क्योंकि विस्थापन किए जाने वाले घरों और परिवारों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। इतनी विपत्तियों के बावजूद जोशीमठ को कुछ नहीं होगा। ऐसा हमारा विश्वास है। हमने ज्योर्तिमठ के ज्योतिषियों से इस संदर्भ में चर्चा की। उनकी गणना है कि जोशीमठ सुरक्षित रहेगा। इसके लिए जो पूजा, हवन और यज्ञ के उपाय बताए गए हैं, वो शुरू हो चुके हैं।
धैर्य से काम लेना होगा...
ये आपत्तिकाल है, धैर्य से काम रखना होगा, सब ठीक हो जाएगा, लेकिन धार्मिक चेतना का अलख जगाना होगा। 2008 में परमश्रद्धेय स्व. स्वरूपानंदर सरस्वती जी ने गंगा सेवा अभियान की शुुरुआत करते हुए कहा था कि जितने बड़े हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट देवभूमि में लाए जा रहे हैं, उससे आपदाएं आएंगी और वैसा ही हुआ। हमें अपने संतों की वाणी का आदर करना चाहिए।
देश की जनता से अपील...
मेरी देश के लोगों से अपील है कि ऐसे विपत्तिकाल में राजनीति से प्रेरित संघर्ष को विराम दें। वहां अभी भी कई लोग भाजपा-कांग्रेस की राजनीति कर रहे हैं, इससे बचें। ये समय फंसे हुए लोगों की सहायता का है। एकाकी में या समूह में हम जैसी मदद कर सकते हैं, करें।