17 नवंबर को मतदान, इसी दिन छठ की शुरुआत:छत्तीसगढ़ में दूसरे चरण की वोटिंग पर हो सकता है असर; व्रती और नेता बोले- बदलें तारीख

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में दूसरे चरण की वोटिंग 17 नवंबर को हो। दूसरे चरण में सबसे ज्यादा 70 सीटों के लिए वोट पड़ेंगे। इसी दिन से छठ महापर्व की शुरुआत हो रही है। ऐसे में नेता और प्रत्याशी सहित आम लोग भी मतदान प्रभावित होने की आशंका जता रहे हैं। डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव और पूर्व सीएम रमन सिंह भी वोटिंग की तारीख बदलने की मांग कर चुके हैं।
भोजपुरी, क्षत्रिय और यूपी ब्राह्मण समाज के अध्यक्षों का कहना है कि चुनाव आयोग को 17 नवंबर की डेट आगे-पीछे करनी चाहिए। वहीं क्षत्रिय कल्याण सभा भिलाई के अध्यक्ष अजीत सिंह ने बताया कि 17 नवंबर को नहाय खाय होता है। इस पर्व में स्वच्छता का खास ध्यान रखना पड़ता है। कई नियम भी होते हैं, ऐसे में बाहर निकलकर वोट करना व्रतियों के लिए मुश्किल है। अजीत सिंह ने कहा कि उन्होंने चुनाव आयोग से अपील की है कि यूपी और बिहार के अलग-अलग समाज के लगभग 50-60 हजार वोटर्स दुर्ग जिले में हैं। अगर इनमें से 10-15 हजार महिलाएं भी मतदान के लिए नहीं आईं, तो किसी भी दल का बड़ा नुकसान होगा। ये वोट किसी भी पार्टी के लिए निर्णायक साबित हो सकते हैं, इसलिए चुनाव आयोग को इस पर विचार करना चाहिए।
छठ व्रती महिलाओं को 36 घंटे तक निर्जला उपवास रखना होता है, साथ ही काफी संयम से रहना होता है। छठ महापर्व में स्वच्छता का भी खास महत्व है, इसलिए व्रती घर में एक अलग कमरे में रहती हैं। ऐसा इसलिए भी किया जाता है, ताकि छठ व्रती महिला को कोई परेशानी न हो और वे एकाग्रता के साथ पूजा कर सकें। छठ व्रत करने वाली उर्मिला उपाध्याय का कहना है कि महिलाएं मतदान के लिए बाहर तो निकल सकती हैं, लेकिन उन्हें समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। ऐसे में ये मांग भी उठ रही है कि चुनाव आयोग को मतदान केंद्र में व्रतियों के लिए अलग से इंतजाम करना चाहिए। ये भी मांग है कि उन्हें बुजुर्गों की तरह घर पर ही वोट देने की व्यवस्था की जाए। पाटलीपुत्र मंच और छठ पूजा समिति के सचिव अभय नारायण राय का दावा है कि बिलासपुर जिले में 50 से 55 हजार मतदाता छठ पर्व से जुड़े हैं। इस महापर्व में महिलाओं के साथ ही पुरुषों की भी भागीदारी होती है। महिलाएं 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखती हैं। ऐसे में बिलासपुर में भी मतदान प्रभावित होने की आशंका है।
चौथे दिन सुबह भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के बाद ही प्रसाद खाकर व्रती छठ का पारण करती हैं। अभय नारायण राय ने कहा कि इस महापर्व में शुद्धता का विशेष महत्व है, जिसके कारण व्रती घर से सामान्यत: बाहर नहीं जातीं। फिर उन्हें लगातार निर्जला व्रत करना होता है, इसलिए भी परिवार उन्हें बाहर नहीं भेजता, ताकि वे आराम कर सकें।
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण की वोटिंग 17 नवंबर को होनी है, जिस दिन नहाय खाय है। इस दिन व्रत तो नहीं होता, लेकिन छठ महापर्व की तैयारियों से संबंधित कई काम होते हैं। साथ ही इस दिन स्नान-पूजा कर लौकी-चावल का प्रसाद बनाकर खाया जाता है। आयोग से मांग है कि राजस्थान की तरह यहां भी दूसरे चरण का मतदान 25 नवंबर को कराया जाए।
रायपुर में भी तारीख बदलने की उठी मांग
छठ पूजा के आयोजनकर्ता और छत्तीसगढ़ करणी सेना के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि छठ व्रत स्वच्छता का प्रतीक है। इसके लिए महिलाएं एक महीने पहले से तैयारी में जुट जाती हैं। 17 नवंबर से छठ शुरू हो रहा है और उसी दिन चुनाव होने से मतदान प्रभावित हो सकता है।
उन्होंने कहा कि लंबे व्रत के चलते महिलाओं का आराम करना बेहद जरूरी होता है। वीरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि छत्तीसगढ़ में बड़ी संख्या में बिहार और उत्तर प्रदेश के लोग रहते हैं और उनके लिए छठ सबसे बड़ा पर्व होता है। उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग को इस संबंध में विचार करने की जरूरत है, ताकि सभी लोकतंत्र के महापर्व में अपनी सहभागिता निभा पाएं।
सरगुजा में भी महिलाओं ने तारीख बदलने की मांग की
सरगुजा जिले में भी छठ करने वाली स्थानीय महिला श्वेता गुप्ता ने कहा पर्व में कई लोग बाहर चले जाते हैं। ये कठिन व्रत है, तो कई महिलाएं बाहर निकलने से बचती हैं। पुरुष भी छठ का उपवास रखते हैं और जो नहीं रखते उनकी पूरी सहभागिता इसमें रहती है, लिहाजा इसका असर मतदान पर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि इसे देखते हुए चुनाव की तारीख आगे बढ़ा दें।
कोषाध्यक्ष छठ पूजा समिति रामानुजगंज विकास गुप्ता ने कहा कि कन्हर नदी के किनारे करीब 5 हजार महिलाएं व्रत करती हैं। 17 को नहाय खाय से छठ महापर्व की शुरुआत होगी। उसी दिन मतदान होगा, तो पूजा-पाठ के चलते लोग मतदान के लिए नहीं जा पाएंगे। सीमा सोनी ने कहा कि छठ महापर्व में महिलाएं भावपूर्ण रहती हैं। इसी बीच मतदान हो रहा है, तो महिलाएं त्योहार को ज्यादा तवज्जो देंगी।