बीएसपी से निकलने वाले स्लैग और वेस्ट का उपयोग अब भवन-सड़क बनाने में, मरोदा में पानी संकट भी दूर करेंगे

औद्योगिक और शैक्षणिक सहभागिता के तहत छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय और भिलाई स्टील प्लांट मिलकर काम करेंगे। इसके लिए तकनीकी विवि में जियो टेक लैब बनाया गया है। यह मध्य भारत का किसी शैक्षणिक संस्थान में पहला प्रयोगशाला शाला है, जहां आयरन के वेस्ट प्रोडक्ट की जांच कर उसे दोबारा उपयोगी बनाया जाएगा। इसकी सहायता बीएसपी को जांच के लिए कोलकाता और नागपुर की प्रयोगशालाओं पर निर्भर नहीं होना पड़ेगा। इतना ही नहीं बीएसपी के आयरन ओर के उपयोग के बाद के स्लैग और वेस्ट का इस्तेमाल भवन और सड़क बनाने किया जा सकेगा।
इतना ही नहीं मरोदा में पेयजल संकट से मुक्ति दिलाने में यूनिवर्सिटी के एक्सपर्ट काम करेंगे। यह प्रोजेक्ट बीएसपी के लिए अधिक फायदेमंद होगा। इससे पैसे और समय दोनों की बचत होगी। यहीं जांच होने से रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। साथ ही तकनीकी विवि में पानी, पानी की गुणवत्ता, भू-जल का सर्वे, पानी शुद्धता की जांच होगी। वहीं सड़क और पुल या पुलिया निर्माण के पहले उसके नीचे की मिट्टी की जांच की जाएगी, ताकि उस स्थान की भार सहने की क्षमता, चिन्हित स्थान की मिट्टी की क्वालिटी की जानकारी प्राप्त की जा सकेगी। सीएसवीटीयू जांच एजेंसी होगी और भिलाई स्टील प्लांट कंसल्टेंसी एजेंसी की भूमिका निभाएगा।
लैब में पूरे उपकरण रखे गए हैं, जिसका किया जाएगा उपयोग
जियो टेक लैब में पानी की जांच, जमीन की जांच समेत इससे संबंधित सारे उपकरण रखे गए हैं। इसमें इलेक्ट्रिक अर्थ अगर्स, इंफ्रा रेड मॉइस्चर मीटर, पोर फर्नेस अपरेटस, सॉइल टेस्ट अपरेटस समेत विभिन्न उपकरण रखे गए हैं। इससे जमीन के ऊपर और जमीन के भीतर की जांच की जा सकेगी। पानी की गुणवत्ता का भी निरीक्षण किया जा सकेगा। बीएसपी के वेस्ट प्रोडक्ट को रि-यूज करने के लिए बनाया जा सकेगा।