अरुण वोरा की पहल से खत्म हुआ कुलियों का आंदोलन, रेलवे ने दी बड़ी राहत — "बैटरी कार नहीं उठाएगी यात्रियों का सामान"
रायपुर, दुर्ग और भिलाई स्टेशन के कुलियों की आजीविका पर मंडरा रहे संकट को लेकर पूर्व मंत्री अरुण वोरा ने उठाई आवाज़, DRM ने दिया लिखित आश्वासन — नई व्यवस्था केवल असहाय यात्रियों की सुविधा के लिए होगी।
रेलवे स्टेशनों पर यात्रियों के लगेज ढोने वाले कुलियों की जीविका पर संकट गहराने के बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अरुण वोरा की तत्पर पहल रंग लाई। बैटरी ट्रॉली व्यवस्था को लेकर चल रहा कुलियों का विरोध आखिरकार समाप्त हो गया है। रेलवे प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि बैटरी कारों का इस्तेमाल यात्रियों का सामान ढोने के लिए नहीं किया जाएगा।
दुर्ग। रेलवे स्टेशनों पर वर्षों से यात्रियों की सेवा में जुटे कुली भाइयों की आजीविका पर संकट खड़ा हो गया था, जब रेलवे प्रशासन ने स्टेशनों पर बैटरी ट्रॉली चलाने की योजना बनाई। कुलियों को आशंका थी कि इस व्यवस्था के लागू होने से उनका रोजगार खत्म हो जाएगा।
इस मुद्दे को लेकर रायपुर, दुर्ग और भिलाई स्टेशन के कुली लगातार प्रदर्शन कर रहे थे। इसी दौरान कुली प्रतिनिधि मंडल ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, पूर्व मंत्री और पूर्व विधायक अरुण वोरा से मुलाकात कर अपनी व्यथा साझा की। वोरा ने तुरंत मामले को गंभीरता से लेते हुए उन्हें भरोसा दिलाया कि उनकी जीविका की रक्षा के लिए हर स्तर पर पहल की जाएगी।
अगले ही दिन अरुण वोरा दुर्ग रेलवे स्टेशन पहुँचे और कुली संघ के प्रतिनिधियों के साथ स्टेशन प्रबंधन से चर्चा की। उन्होंने स्पष्ट कहा कि किसी भी नई व्यवस्था का उद्देश्य सुविधा बढ़ाना होना चाहिए, न कि मेहनतकश वर्ग की रोज़ी-रोटी छीनना।
अपने वादे को निभाते हुए वोरा शुक्रवार को रायपुर रेलवे स्टेशन पहुँचे और दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे, रायपुर मंडल के मंडल रेल प्रबंधक दयानंद से मुलाकात की। इस दौरान कुलियों ने एक ज्ञापन सौंपकर यह मांग की कि बैटरी कारों का उपयोग केवल असहाय या वृद्ध यात्रियों की सहायता के लिए किया जाए, न कि सामान्य यात्रियों के लगेज ढोने के लिए।
सूत्रों के अनुसार, रेलवे प्रशासन ने कुल 10 बैटरी कारें दुर्ग, भिलाई और रायपुर स्टेशनों के लिए प्रस्तावित की हैं। बैठक में मौजूद दीप्तेश चटर्जी सहित अन्य प्रतिनिधियों के बीच DRM दयानंद ने स्पष्ट आश्वासन दिया कि बैटरी कारों से यात्रियों का सामान नहीं ढोया जाएगा। यदि भविष्य में ऐसा पाया गया तो संबंधित ठेके को तुरंत निरस्त कर दिया जाएगा।
इस ठोस आश्वासन के बाद कुलियों ने अपनी हड़ताल समाप्त करने का निर्णय लिया और सामान्य कार्य में लौट आए।
अरुण वोरा की इस संवेदनशील पहल से सैकड़ों परिवारों की आजीविका सुरक्षित हुई। उनका यह प्रयास एक बार फिर साबित करता है कि जनप्रतिनिधि जब ज़मीन से जुड़े रहकर जनता की आवाज़ उठाते हैं, तो समाधान निश्चित रूप से निकलता है।
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