केरल से टकराया मानसून, आपके राज्य कब पहुंचेगा:ये चक्रवाती बारिश है या मानसूनी; कैसे तय करता है मौसम विभाग

भारतीय मौसम विभाग ने 9 जून को खुशखबरी दी कि मानसून ने केरल में दस्तक दे दी है। यह एक दिन में कर्नाटक तक पहुंच गया है। हालांकि चक्रवात बिपरजॉय से दो-तीन दिन तक इसकी तीव्रता धीमी कर पड़ने की संभावना है। इसके बाद मानसून फिर रफ्तार पकड़ेगा।

केरल से टकराया मानसून, आपके राज्य कब पहुंचेगा:ये चक्रवाती बारिश है या मानसूनी; कैसे तय करता है मौसम विभाग

raipur आषाढ़ यानी जून को बारिश वाला महीना भी कहते हैं। आज से 1700 साल पहले मेघदूत लिखे जाने के समय भी कुछ फिक्स महीनों में बारिश होती थी। आज भी ऐसा ही होता है। इसी खास भौगोलिक घटना को मानसून कहते हैं।

मानसून अरबी शब्द 'मौसिम' से आया है। इसी मौसिम से हिंदी का शब्द मौसम बना है। अरबी भाषा में मौसिम का अर्थ ऋतु या सीजन होता है।

आम बोलचाल की भाषा में भारी बारिश को मानसून कहते हैं, लेकिन वैज्ञानिकों ने इसे अपने तरीके से समझाया है। मानसून का साइंटिफिक डेफिनिशन यह है कि 'मौसम बदलने से हवाओं की दिशा बदलना और बारिश इन्हीं हवाओं के दिशा बदलने का नतीजा है।’

इसे ऐसे भी समझ सकते हैं- एक क्षेत्र में चलने वाली हवाओं की दिशा में मौसमी परिवर्तन को मानसून कहते हैं। इस वजह से कई बार बारिश भी होती है या कई बार गर्म हवाएं भी चलती हैं।

भारत के संदर्भ में देखा जाए तो हिंद महासागर और अरब सागर से ये हवाएं भारत के दक्षिण-पश्चिम तट पर आती हैं। ये हवाएं ठंडे से गर्म क्षेत्रों की तरफ बढ़ते हुए अपने साथ पानी वाले बादल भी लाती हैं, जो भारत के साथ-साथ पाकिस्तान, अफगानिस्तान में भी बारिश करवाते हैं। भारत में जून से सितंबर तक मानसूनी हवाएं चलती रहती हैं।

2. मानसून के दिनों में हवाएं बारिश कैसे लाती हैं?

धरती पर ज्यादातर गर्मी सूरज से आती है, लेकिन सूरज की किरणें सभी जगह एक समान नहीं, बल्कि अलग-अलग पड़ती हैं। समुद्र के पानी की तुलना में सूर्य की किरणों से धरती जल्दी गर्म होती है। ऐसा धरती और समुद्र की प्रॉपर्टी की वजह से होता है। इसे ही फिजिक्स में 'स्पेसिफिक हीट कैपेसिटी' कहते हैं।

जून के महीने में सूरज की किरणें उत्तरी गोलार्ध यानी धरती के ऊपरी हिस्से पर पड़ती हैं। इस वजह से धूप तेज पड़ती है और धरती काफी गर्म हो जाती है, लेकिन समुद्र इसकी अपेक्षा ठंडा रह जाता है।

इससे समुद्र के ऊपर का वातावरण बदलने लगता है। जहां हवा गर्म होती है, वहां कम प्रेशर होता है। जहां हवा ठंडी होती है, वहां प्रेशर ज्यादा होता है। इस प्रेशर डिफरेंस की वजह से ही हवा बहती है। इसी वजह से हवा ज्यादा प्रेशर वाले समुद्र से कम प्रेशर वाली धरती की ओर बहती है।

गर्मी में समुद्र का पानी भाप बनकर वायुमंडल में जमा होता है। फिर हाई प्रेशर वाली हवा इसे अपने साथ धरती की ओर ले जाती है, जहां नमी भरी हवा के लंबे पेड़ों या पहाड़ों से टकराने से बारिश होती है।

3. भारत में मानसून कैसे आता है?

भारत में ये हवाएं 2 दिशाओं से आती हैं। दक्षिण-पश्चिम और दक्षिण-पूर्व। ऐसे में भारत में केरल के तट से टकराने के बाद मानसून दो तरफ से देश में प्रवेश करता है।

पहला : अरब सागर से होकर चलने वाला मानसून केरल, महाराष्ट्र, गुजरात, मध्यप्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, यूपी और बिहार जैसे राज्यों में बारिश कराता है। इसे दक्षिण-पश्चिमी मानसून कहते हैं।

दूसरा : बंगाल की खाड़ी से होकर चलने वाला मानसून तमिलनाडु, ओडिशा से होते हुए नॉर्थ-ईस्ट के राज्यों में बारिश कराते हुए बांग्लादेश की ओर निकल जाता है। इसे दक्षिण-पूर्व मानसून कहते हैं।

केरल में मानसून के थोड़ी देरी से पहुंचने का मतलब यह नहीं है कि मानसून देश के अन्य हिस्सों में भी देरी से पहुंचेगा। साथ ही मानसून का देर से आने का यह मतलब नहीं है कि कम बारिश होगी।

मौसम वैज्ञानिक डीपी दुबे ने बताया कि केरल में मानसून आ गया है। अरब सागर में एक स्ट्रॉन्ग वेदर सिस्टम बन रहा है। यह मानसून के लिए अच्छा संकेत हैं। यह 13-14 जून तक गुजरात पहुंच जाएगा। इसकी वजह से मध्यप्रदेश में 13 से 15 जून तक प्री मानसून एक्टिविटी होगी। गुजरात में अगर यह सिस्टम बना रहा तो 19 जून तक मध्यप्रदेश में मानसून छा जाएगा।