जमीन की खरीदी-बिक्री में परेशानी.....1.15 करोड़ खसरों में से 66.46 लाख नक्शे ही नहीं...

छत्तीसगढ़ के 1.15 करोड़ से ज्यादा खसरों में से 91,747 खसरे संदिग्ध हैं। राजस्व विभाग इसलिए इन्हें संदिग्ध मानता है, क्योंकि खसरा क्रमांक 1, 2, 3 के बाद सीधे 15 नंबर का खसरा आ जाता है। इसके बीच के खसरों का जिक्र ही नहीं है। इनमें सर्वाधिक 15,575 संदिग्ध खसरे हाल ही में अस्तित्व में आए सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले के हैं। बिलासपुर में इनकी संख्या 2281 है, जबकि रायपुर में ऐसे खसरों की संख्या 2287 है। इसी तरह, पूरे प्रदेश में 66,46,492 खसरों के नक्शे उपलब्ध नहीं हैं।
सर्वाधिक मामले बिलासपुर के हैं, जहां 590295 खसरे हैं, जिसका नक्शा उपलब्ध नहीं है। भूमाफिया के पनपने की बड़ी वजह यह भी है। राजस्व रिकॉर्ड में नक्शे और खसरों को अपडेट करने का प्रावधान है, लेकिन नक्शे के बिना यह संभव नहीं है। राजस्व के मामलों की पेंडेंसी या शिकायतों के पीछे यह भी बड़ी वजह है। नक्शे के बिना सीमांकन नहीं हो पाता। ऐसी स्थिति से बचने के लिए जमीन के छोटे टुकड़ों का आठ गुना बड़ा नक्शा बनाने की पहल की गई है। इसमें भी दो साल का वक्त लगेगा। इसका सीधा असर जमीन की खरीदी बिक्री पर पड़ रहा है।
कांग्रेस सरकार ने छोटी जमीनों की रजिस्ट्री की मंजूरी दी थी, लेकिन नक्शे के बिना रजिस्ट्री नहीं हो पा रही तो कई जगह गड़बड़ियों की शिकायतें भी आ रही हैं। नक्शे के बिना मकान बनाने में भी दिक्कत आ रही है। नक्शे के लिए भी यह शर्त है कि यह मिसल अभिलेख के अनुसार हो, तब जाकर ही उसे मान्य किया जाता है।
5.9 लाख पहुंची छोटे भूखंड के नक्शों की संख्या - राजस्व रिकॉर्ड में छोटे भूखंडों के नक्शों की संख्या बढ़ती जा रही है। दो साल पहले यह संख्या 4 लाख थी, जो अब 5.9 लाख पहुंच गई है। जमीन जितने छोटे टुकड़ों में बंट रही है, न्यायालयीन प्रक्रिया के बाद उसके रिकार्ड तो दुरुस्त हो रहे हैं, लेकिन नक्शे नहीं बन रहे हैं।
वजह यही है कि जो पैरामीटर वर्तमान में है, उससे संभव नहीं है। इसके लिए 8 गुना बड़ा नक्शा बनाना होगा, तब छोटे भूखंडों को उसमें दर्शाया जा सकेगा। राजस्व अफसरों के मुताबिक ऑनलाइन में छोटी जमीनों का नक्शा बनाना संभव नहीं है। राज्य स्तर पर नक्शे को 8 गुना बड़ा करने की प्रक्रिया शुरू हुई थी, लेकिन इसमें समय लग रहा है। इस स्थिति में 5 डिसमिल से छोटी जमीन का नक्शा ऑनलाइन नहीं दिखाई देता। नक्शा अपडेशन के मामले में सबसे खराब स्थिति बिलासपुर शहर की है। यहां 21.13% नक्शा ही अपडेट हो पाए हैं। जिले की अन्य तहसीलों में सकरी 42.61,बोदरी 42.85,बेलगहना 56.42,बेलतरा 56.93,बिल्हा 59.70,रतनपुर 60.14, तखतपुर 60.99,सीपत 63.62,कोटा 68.24, पचपेड़ी 74.18, मस्तूरी 74.23% अपडेट हो गए हैं।