सौभाग्य योग में शुभ दिवाली आज, जानें लक्ष्मी पूजा विधि, मुहूर्त, मंत्र, भोग, आरती और महत्व
आज 12 नवंबर को पूरे देश में दिवाली मनाई जा रही है. इस साल की दिवाली सौभाग्य योग और स्वाति नक्षत्र में है. केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र से जानते हैं दिवाली शुभ मुहूर्त, लक्ष्मी पूजा विधि, पूजन सामग्री, मंत्र, भोग, आरती आदि के बारे में. कार्तिक अमावस्या तिथि की शुरूआत: आज, दोपहर 02 बजकर 44 मिनट से.

आज 12 नवंबर रविवार को पूरे देश में शुभ दिवाली मनाई जा रही है. इस साल की दिवाली सौभाग्य योग और स्वाति नक्षत्र में है. इस सुंदर संयोग में दिवाली की लक्ष्मी पूजा होगी, जो आपके लिए शुभ और उन्नतिदायक होगी. आज पूजा का मुहूर्त शाम के समय में है. कार्तिक अमावस्या को प्रदोष काल में दिवाली की पूजा करना शुभ होता है. इसके अलावा निशिता काल में भी लक्ष्मी पूजा की जा सकती है. दिवाली पर लक्ष्मी मंत्रों का जाप करने से धन-संपत्ति में वृद्धि होती है. केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र से जानते हैं दिवाली के शुभ मुहूर्त, लक्ष्मी पूजा विधि, पूजन सामग्री, मंत्र, भोग, आरती आदि के बारे में.
दिवाली 2023 शुभ मुहूर्त
कार्तिक अमावस्या तिथि की शुरूआत: आज, दोपहर 02 बजकर 44 मिनट से
कार्तिक अमावस्या तिथि की समाप्ति: कल, दोपहर 02 बजकर 56 मिनट पर
दिवाली लक्ष्मी पूजा का शाम का मुहूर्त: शाम 05:39 बजे से शाम 07:35 बजे तक
दिवाली लक्ष्मी पूजा रात का मुहूर्त: रात 11:39 बजे से देर रात 12:32 बजे तक
स्वाति नक्षत्र: आज, प्रात:काल से कल 02:51 एएम तक.
सौभाग्य योग: आज शाम 04 बजकर 25 मिनट से कल दोपहर 03 बजकर 23 मिनट तक
दिवाली 2023 पूजा सामग्री
माता लक्ष्मी, गणेश जी की नई मूर्ति, अक्षत्, सिंदूर, कुमकुम, रोली, चंदन, लाल फूल, कमल और गुलाब के फूल, माला, केसर, फल, पान का पत्ता, सुपारी, कमलगट्टा, धान का लावा, बताशा, मिठाई, पीली कौड़ियां, शहद, इत्र, गंगाजल, दूध, दही, तेल, शुद्ध घी, खीर, मोदक, लड्डू, पंच मेवा, कलावा, पंच पल्लव, सप्तधान्य, एक कलश, पीतल का दीपक, मिट्टी का दीपक, रुई की बत्ती, लौंग, इलायची, दूर्वा, लकड़ी की चौकी, आम के पत्ते, साफ आटा, आसन के लिए लाल या पीले रंग का कपड़ा, एक नारियल, लक्ष्मी और गणेश के सोने या चांदी के सिक्के, धनिया आदि.
मां लक्ष्मी का मंत्र
ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मी नम:॥