ज़ोजिला सुरंग को स्टील की शक्ति: सेल ने 31,000 टन से अधिक स्टील की आपूर्ति कर निभाई राष्ट्र निर्माण में अग्रणी भूमिका

एशिया की सबसे लंबी दोतरफा सड़क सुरंग के निर्माण में SAIL बना सबसे बड़ा स्टील सप्लायर, राष्ट्रीय अवसंरचना में योगदान को मिली नई ऊंचाई

ज़ोजिला सुरंग को स्टील की शक्ति: सेल ने 31,000 टन से अधिक स्टील की आपूर्ति कर निभाई राष्ट्र निर्माण में अग्रणी भूमिका

स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) ने ज़ोजिला सुरंग परियोजना में 31,000 टन से अधिक स्टील की आपूर्ति कर न केवल अपनी तकनीकी क्षमता का परिचय दिया है, बल्कि भारत के राष्ट्रीय अवसंरचना विकास में अपनी मजबूत भूमिका को फिर से सिद्ध किया है। यह सुरंग श्रीनगर-लेह मार्ग को सालभर खुला रखने में मदद करेगी और सामरिक रूप से देश की मजबूती में अहम योगदान देगी।

नई दिल्ली । देश की प्रमुख सार्वजनिक क्षेत्र की इस्पात कंपनी स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) ने ज़ोजिला सुरंग परियोजना में 31,000 टन से अधिक स्टील की आपूर्ति करके एक और मील का पत्थर छू लिया है। निर्माणाधीन यह परियोजना देश की सबसे लंबी सड़क सुरंग और एशिया की सबसे लंबी दोतरफा सुरंग के रूप में विकसित हो रही है।

सेल ने इस महत्वपूर्ण परियोजना के लिए टीएमटी री-बार, स्ट्रक्चरल स्टील और स्टील प्लेट्स की आपूर्ति की है, जो सुरंग की मजबूती और दीर्घकालिक स्थायित्व के लिए आवश्यक हैं। वर्ष 2027 तक पूरा होने वाली इस परियोजना में सेल की निरंतर स्टील आपूर्ति, कंपनी की राष्ट्र निर्माण के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

हिमालय की ऊंचाइयों में इंजीनियरिंग का कमाल

11,578 फीट की ऊंचाई पर बनाई जा रही यह सुरंग 30 किलोमीटर से अधिक लंबी होगी और द्रास व कारगिल होते हुए श्रीनगर से लेह तक सालभर निर्बाध संपर्क सुनिश्चित करेगी। यह न केवल आम नागरिकों के लिए, बल्कि सुरक्षा बलों के लिए भी एक रणनीतिक राहत होगी।

सेल का गौरवशाली ट्रैक रिकॉर्ड

ज़ोजिला सुरंग में योगदान, सेल की उन ऐतिहासिक परियोजनाओं की कड़ी में एक और नाम जोड़ता है, जिनमें अटल टनल, चिनाब रेलवे ब्रिज, बांद्रा-वर्ली सी लिंक, ढोला-सादिया और बोगीबील पुल जैसी राष्ट्रीय स्तर की संरचनाएं शामिल हैं। इन सभी में सेल के उच्च गुणवत्ता वाले स्टील का उपयोग किया गया है।

सिर्फ परियोजना नहीं, आर्थिक अवसर भी

यह सुरंग न केवल एक इंजीनियरिंग चमत्कार है, बल्कि क्षेत्रीय विकास और रोजगार के नए अवसर भी लेकर आएगी। इसके निर्माण से सीमावर्ती क्षेत्रों में व्यापार, पर्यटन और सामरिक तैयारियों को बल मिलेगा।